क्या मध्य प्रदेश में बाल विवाह को रोकने के लिए विभाग ने कमर कसी?

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क्या मध्य प्रदेश में बाल विवाह को रोकने के लिए विभाग ने कमर कसी?

सारांश

मध्य प्रदेश में बाल विवाह को रोकने के लिए महिला और बाल विकास विभाग ने ठोस कदम उठाए हैं। इस बार देवउठनी एकादशी पर विशेष जागरूकता मुहिम चलाई जा रही है। जानें किस तरह से सरकार इस सामाजिक बुराई को समाप्त करने की कोशिश कर रही है।

Key Takeaways

  • महिला एवं बाल विकास विभाग ने ठोस कदम उठाए हैं।
  • देवउठनी एकादशी पर जागरूकता मुहिम चलाई जाएगी।
  • कंट्रोल रूम स्थापित किए गए हैं।
  • बाल विवाह को रोकने के लिए सामाजिक संगठनों का सहयोग लिया जाएगा।
  • भारत सरकार का 2025 तक बाल विवाह दर घटाने का लक्ष्य है।

भोपाल, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश में देवउठनी एकादशी पर बाल विवाह की घटनाएं ऐतिहासिक रूप से काफी अधिक रहती आई हैं। इन्हें रोकना एक बड़ी चुनौती है। महिला और बाल विकास विभाग ने बाल विवाह को रोकने के लिए नई योजना बनाई है। प्रदेश को ‘बाल विवाह मुक्त’ बनाने के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं।

राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा, “बाल विवाह केवल एक कुप्रथा नहीं है, यह बच्चियों के अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य और उनके उज्ज्वल भविष्य के साथ अन्याय है। सरकार, समाज और परिवार सभी को मिलकर इसे रोकने के लिए प्रयास करने होंगे ताकि ‘बाल विवाह मुक्त मध्य प्रदेश’ का संकल्प साकार हो सके।”

ज्ञात हो कि देवउठनी एकादशी के बाद पारंपरिक रूप से विवाह समारोहों का शुभ मुहूर्त आरंभ होता है, जिससे बाल विवाह की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसे ध्यान में रखते हुए प्रदेशभर में सतर्कता बढ़ाई गई है। प्रत्येक ग्राम और वार्ड में सूचना दलों का गठन किया जा रहा है, जिनमें शिक्षक, एएनएम, आशा कार्यकर्ता, स्वयं सहायता समूह की सदस्य, शौर्यादल की अध्यक्ष, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, पंचायत प्रतिनिधि और समाज के जागरूक नागरिक शामिल हैं। ये दल विवाहों की जानकारी रखेंगे और किसी भी संदिग्ध बाल विवाह की सूचना तुरंत कंट्रोल रूम या बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी को देंगे।

राज्य के सभी जिलों में कंट्रोल रूम स्थापित किए गए हैं, जिनके दूरभाष नंबरों का व्यापक प्रचार-प्रसार मीडिया के माध्यम से किया जा रहा है। बाल विवाह की सूचना पर तत्काल कार्रवाई के लिए उड़न दस्ते भी तैनात किए गए हैं। विभाग ने परियोजना और आंगनबाड़ी स्तर पर जनजागरूकता कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिनमें जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों, धार्मिक संस्थाओं और आम नागरिकों से बाल विवाह रोकथाम में सहयोग का आह्वान किया गया है।

यह ध्यान देने योग्य है कि भारत सरकार द्वारा 2025 तक बाल विवाह की दर को 23.3 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने और 2030 तक देश को पूरी तरह बाल विवाह मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 एवं मध्य प्रदेश बाल विवाह प्रतिषेध नियम, 2007 के अंतर्गत बाल विवाह करना या कराना दण्डनीय अपराध है, जिसमें दोषियों को सजा या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। इस वर्ष देवउठनी एकादशी एक नवंबर को मनाई जाएगी, और इसी अवसर पर प्रदेशभर में यह विशेष जागरूकता मुहिम संचालित की जा रही है।

Point of View

बल्कि एक संपूर्ण समाज के विकास में भी बाधा डालता है। सरकार की इन पहलों से यह उम्मीद की जा सकती है कि मध्य प्रदेश जल्दी ही एक बाल विवाह मुक्त राज्य बनेगा।
NationPress
26/12/2025

Frequently Asked Questions

बाल विवाह क्या है?
बाल विवाह उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें बच्चों की उम्र के अनुसार विवाह किया जाता है, जो कानूनी और नैतिक दोनों ही दृष्टियों से गलत है।
बाल विवाह के खिलाफ क्या कानून हैं?
भारत में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 और मध्य प्रदेश बाल विवाह प्रतिषेध नियम, 2007 के अंतर्गत बाल विवाह करना या कराना दण्डनीय अपराध है।
सरकार बाल विवाह रोकने के लिए क्या कर रही है?
सरकार ने जागरूकता अभियान चलाने के साथ-साथ नियंत्रण कक्ष स्थापित किए हैं, जहां संदिग्ध बाल विवाह की रिपोर्ट की जा सकती है।
बाल विवाह के क्या दुष्प्रभाव हैं?
बाल विवाह से बच्चियों की शिक्षा, स्वास्थ्य और भविष्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है, जिससे उनका समुचित विकास बाधित होता है।
क्या बाल विवाह को रोकने के लिए समाज की भूमिका है?
बिल्कुल, समाज को बाल विवाह के खिलाफ जागरूक होना चाहिए और इसे रोकने के लिए सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
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