क्या मध्य प्रदेश में उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए टास्क फोर्स का गठन किया गया?
सारांश
Key Takeaways
- टास्क फोर्स का गठन विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए है।
- यह पहल सहयोगी और दबाव-मुक्त वातावरण बनाने के लिए है।
- बिभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है।
भोपाल, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश में उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने और उनकी समस्याओं का समाधान निकालने के उद्देश्य से एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया है। यह टास्क फोर्स विद्यार्थियों की मनोदशा और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर निगरानी रखने के साथ ही आवश्यक उपायों पर भी कार्य करेगी। देशभर में विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच, मध्य प्रदेश का उच्च शिक्षा विभाग इस दिशा में ठोस कदम उठाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
राज्य ने स्टेट टास्क फोर्स को पूरी तरह से सक्रिय कर दिया है, जो अब पूरे राज्य के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और कोचिंग संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी उपायों की निगरानी और सुधार की रूपरेखा तैयार कर रही है।
जानकारी के अनुसार, नेशनल टास्क फोर्स (एनटीएफ) द्वारा आयुक्त, उच्च शिक्षा प्रबल सिपाहा को राज्य स्तरीय नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। उच्च शिक्षा विभाग के अनुसार, यह पहल केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि राज्य के विद्यार्थियों के लिए एक सुरक्षित, सहयोगी और दबावमुक्त शैक्षणिक माहौल बनाने के लिए सबसे बड़ा प्रशासनिक प्रयास है।
एनटीएफ के निर्देशों के तहत, उच्च शिक्षा विभाग ने एक स्टेट टास्क फोर्स का गठन किया है, जो राज्य में विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य, परामर्श सेवाओं और रोकथाम उपायों पर केंद्रित नीतिगत हस्तक्षेपों के लिए योजना एवं निर्देश जारी कर रही है।
इस टास्क फोर्स के अध्यक्ष आयुक्त उच्च शिक्षा प्रबल सिपाहा हैं, जबकि ओएसडी डॉ. उषा के. नायर को इसका सदस्य सचिव नियुक्त किया गया है। एसटीएफ में स्कूल शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, बाल सुरक्षा, सामाजिक न्याय तथा नगरीय प्रशासन विभागों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है।
यह एक बहु-विभागीय तंत्र है, जो विद्यार्थियों की चुनौतियों को व्यापक दृष्टि से देखेगा। स्टेट टास्क फोर्स राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और परामर्श से जुड़े उपायों की निगरानी, एनटीएफ के निर्देशों के अनुपालन का मूल्यांकन, कोचिंग व कॉलेज परिसरों का मानसिक स्वास्थ्य ऑडिट, हेल्पलाइन, काउंसलिंग, मनोसामाजिक समर्थन की व्यवस्था को मजबूत करना, जिला स्तरीय डीटीएफ को दिशा देना और उनकी रिपोर्ट की समीक्षा, आत्महत्या रोकथाम से जुड़े जोखिम कारकों की पहचान और सुधार को बढ़ावा देने, और राज्य सरकार को नियमित सिफारिशें और नीतिगत सुझाव देने का कार्य करेगी।