क्या मद्रास उच्च न्यायालय ने दिव्यांगजन सुलभता मानक पर चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांगा?

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क्या मद्रास उच्च न्यायालय ने दिव्यांगजन सुलभता मानक पर चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांगा?

सारांश

मद्रास उच्च न्यायालय ने दिव्यांगजनों के मतदान अधिकारों की सुरक्षा के लिए चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांगा है। याचिका में कहा गया है कि कई मतदान केंद्र और वेबसाइटें दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सुलभ नहीं हैं। क्या आयोग इन मुद्दों को हल कर सकेगा?

Key Takeaways

  • दिव्यांगजन अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
  • मद्रास उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांगा है।
  • मतदान केंद्रों की सुलभता की आवश्यकता है।
  • दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, २०१६ का अनुपालन सुनिश्चित करना आवश्यक है।
  • चुनाव आयोग को ठोस कदम उठाने चाहिए।

चेन्नई, १६ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। मद्रास उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका के माध्यम से भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) से विस्तृत स्पष्टीकरण मांगा है, जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि कई मतदान केंद्र और आधिकारिक वेबसाइटें दिव्यांग व्यक्तियों के लिए दुर्गम हैं, जिससे उनके मतदान के मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है।

मुख्य न्यायाधीश मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति जी. अरुल मुरुगन की खंडपीठ ने चुनाव आयोग के स्थायी वकील निरंजन राजगोपालन को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

न्यायाधीशों ने इस याचिका को एक प्रतिरोध के रूप में नहीं, बल्कि चुनावी प्रक्रिया में समानता सुनिश्चित करने के प्रयास के रूप में देखे जाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

यह जनहित याचिका दिव्यांग अधिकार कार्यकर्ता वैष्णवी जयकुमार ने दायर की थी, जिन्होंने कहा कि बार-बार याद दिलाने और वैधानिक आदेशों के बावजूद, पहुंच अभी भी अपर्याप्त बनी हुई है। उनकी वकील एस. तन्वी ने मतदान केंद्रों पर सीढ़ियां तो दिखाईं, लेकिन रैंप नहीं थे।

पीठ ने तस्वीरों का अवलोकन करते हुए पूछा कि ऐसी परिस्थितियों में दिव्यांग व्यक्तियों से वोट डालने की उम्मीद कैसे की जा सकती है।

मुख्य न्यायाधीश श्रीवास्तव ने टिप्पणी की, "आपने (चुनाव आयोग) समावेशिता की दिशा में कदम उठाए होंगे, लेकिन इन भौतिक बाधाओं को पूरी तरह से हटाया जाना चाहिए।"

अपने हलफनामे में, जयकुमार ने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, २०१६ की धारा ११ का हवाला दिया, जिसके अनुसार सभी मतदान केंद्रों को पूरी तरह से सुलभ बनाया जाना चाहिए और चुनाव संबंधी सभी सामग्री दिव्यांगजनों के लिए सरल बनाई जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि यद्यपि यह अधिनियम सात वर्षों से अधिक समय से लागू है, फिर भी इसका पूर्ण अनुपालन नहीं हो पाया है।

उन्होंने तर्क किया कि मतदान केंद्रों में रैंप जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव बना हुआ है और चुनाव वेबसाइटें दिव्यांगजनों के लिए अनुकूल नहीं हैं।

याचिका में विशेष रूप से इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि चुनाव आयोग के पोर्टल केवल छवि-आधारित कैप्चा पर निर्भर हैं, जिससे कई दृष्टिबाधित व्यक्ति उन तक पहुंचने से वंचित रह जाते हैं। याचिका में कहा गया है कि ऑडियो, टेक्स्ट, लॉजिक और ओटीपी-आधारित विकल्पों सहित मल्टी-मॉडल कैप्चा को लागू किया जाना चाहिए।

जयकुमार ने आयोग से उम्मीदवारों की जानकारी ऑनलाइन सुलभ प्रारूप में उपलब्ध कराने और प्रत्येक मतदान केंद्र पर रैंप सुनिश्चित करने जैसे सरल उपायों के माध्यम से बाधारहित चुनाव सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

पीठ ने चुनाव आयोग को इन सभी चिंताओं का विस्तार से समाधान करने और यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि वह क्या ठोस कदम उठाने की योजना बना रहा है। आयोग द्वारा अपना जवाब दाखिल करने के बाद मामले की अगली सुनवाई की तारीख तय की गई है।

Point of View

और यही लोकतंत्र की आत्मा है।
NationPress
16/09/2025

Frequently Asked Questions

मद्रास उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग से क्यों स्पष्टीकरण मांगा?
क्योंकि कई मतदान केंद्र और वेबसाइटें दिव्यांग व्यक्तियों के लिए दुर्गम हैं, जिससे उनके मतदान के मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है।
याचिका किसने दायर की थी?
यह याचिका दिव्यांग अधिकार कार्यकर्ता वैष्णवी जयकुमार ने दायर की थी।
क्या चुनाव आयोग ने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम का पालन किया है?
याचिका में कहा गया है कि इस अधिनियम का पूर्ण अनुपालन नहीं हो पाया है।
चुनाव आयोग को क्या निर्देश दिए गए हैं?
चुनाव आयोग को इन सभी चिंताओं का विस्तार से समाधान करने का निर्देश दिया गया है।
अगली सुनवाई कब होगी?
आयोग द्वारा अपना जवाब दाखिल करने के बाद मामले की अगली सुनवाई की तारीख तय की जाएगी।