क्या एएसआई की 'महाबोधि फया प्रदर्शनी' भारत-म्यांमार आध्यात्मिक संबंधों को उजागर करती है?

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क्या एएसआई की 'महाबोधि फया प्रदर्शनी' भारत-म्यांमार आध्यात्मिक संबंधों को उजागर करती है?

सारांश

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा आयोजित 'महाबोधि फया प्रदर्शनी' ने भारत और म्यांमार के आध्यात्मिक संबंधों को फिर से जीवित किया है। इस प्रदर्शनी में जीर्णोद्धार किए गए स्मारकों की तस्वीरें प्रदर्शित की गईं, जो दोनों देशों के बीच की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती हैं।

Key Takeaways

  • महाबोधि फया में आयोजित प्रदर्शनी का महत्व।
  • भारत-म्यांमार के बीच आध्यात्मिक संबंधों का पुनर्जीवन।
  • एएसआई का योगदान और जीर्णोद्धार कार्य।
  • स्थानीय कारीगरों की भागीदारी।
  • म्यांमार की धार्मिक विरासत का संरक्षण।

नेपीडॉ, 4 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने म्यांमार के बागान शहर में स्थित बौद्ध मंदिर महाबोधि फया में एक अद्भुत प्रदर्शनी का आयोजन किया, जिसमें पुनर्स्थापित स्मारकों की पहले और बाद की तस्वीरें प्रदर्शित की गईं।

इस प्रदर्शनी ने स्मारकों के जीर्णोद्धार में एएसआई के अमूल्य योगदान को दर्शाया और साथ ही भारत एवं म्यांमार के बीच के सदियों पुराने आध्यात्मिक संबंधों को पुनः पुष्टि की।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता म्यांमार में भारतीय राजदूत अभय ठाकुर और पुरातत्व विभाग एवं राष्ट्रीय संग्रहालय के महानिदेशक क्याव ऊ ल्विन ने की।

इस अवसर पर, राजदूत अभय ठाकुर ने एएसआई टीम और जीर्णोद्धार कार्यों में लगे स्थानीय कारीगरों से भी संवाद किया।

म्यांमार स्थित भारतीय दूतावास ने शनिवार को एक्स पर पोस्ट किया, "राजदूत ने हमारी एएसआई टीम और स्थानीय कारीगरों से भी बातचीत की। जीर्णोद्धार से पहले और बाद के स्मारकों की तस्वीरों वाली एएसआई प्रदर्शनी उनके अपार योगदान को दर्शाती है। बोधगया की 1215 ईस्वी की प्रतिकृति, महाबोधि फया बागान, हमारे सदियों पुराने आध्यात्मिक संबंधों की याद दिलाती है।"

बागान में भूकंप प्रभावित पगोड़ा के जीर्णोद्धार एवं संरक्षण कार्यों के दूसरे चरण का औपचारिक उद्घाटन शुक्रवार को महाबोधि पगोड़ा में हुआ, जहां यह प्रदर्शनी आयोजित की गई थी।

दूतावास ने इसे लेकर एक बयान जारी किया। इसमें कहा गया है, "पुरातत्व विभाग, बागान के साथ घनिष्ठ समन्वय और स्थानीय कारीगरों के सहयोग से, एएसआई की चार सदस्यीय टीम लगभग 50 स्मारकों पर आगे का कार्य करेगी। एएसआई के रासायनिक संरक्षण और भौतिक जीर्णोद्धार विशेषज्ञों को इस क्षेत्र में वर्षों का अनुभव है, जिसमें प्रतिष्ठित आनंद मंदिर के जीर्णोद्धार के साथ-साथ बागान जीर्णोद्धार परियोजना के पहले चरण के तहत 11 स्मारकों का जीर्णोद्धार भी शामिल है।"

इसमें आगे उल्लेख किया गया है कि बागान जीर्णोद्धार परियोजना के पहले चरण के तहत 11 पुनर्स्थापित स्मारक (22 कार्य) 13 दिसंबर, 2024 को म्यांमार को सौंप दिए गए थे।

दूतावास ने आगे कहा, "कार्यक्रम के दौरान पहले चरण की एक फोटो प्रदर्शनी भी लगाई गई। परियोजना का दूसरा चरण अब तक किए गए सफल कार्यों के संयोजन का काम करेगा।"

यह परियोजना म्यांमार की अमूल्य धार्मिक विरासत के दीर्घकालिक संरक्षण के साथ-साथ भारत और म्यांमार के लोगों के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को मजबूत करने के प्रति भारत सरकार की स्थायी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

Point of View

हम समझते हैं कि यह प्रदर्शनी भारत और म्यांमार के बीच के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। एएसआई के कार्यों ने न केवल स्मारकों का जीर्णोद्धार किया है, बल्कि यह दोनों देशों के लोगों के बीच दोस्ती और सहयोग को भी बढ़ावा देता है।
NationPress
04/10/2025

Frequently Asked Questions

महाबोधि फया प्रदर्शनी में क्या प्रदर्शित किया गया?
इस प्रदर्शनी में पुनर्स्थापित स्मारकों की पहले और बाद की तस्वीरें प्रदर्शित की गईं।
इस प्रदर्शनी का उद्देश्य क्या है?
यह प्रदर्शनी भारत और म्यांमार के बीच सदियों पुराने आध्यात्मिक संबंधों को उजागर करने के लिए आयोजित की गई है।