क्या महाराष्ट्र के मछुआरे अब किसान कहलाएंगे? पूरे देश में लागू हो सकता है यह मॉडल: मंत्री नितेश राणे
सारांश
Key Takeaways
- मछुआरों को किसानों का दर्जा
- सरकारी योजनाओं में प्राथमिकता
- आय और रोजगार में वृद्धि
- समुद्री अन्न का महत्व
- मॉडल स्टेट के रूप में महाराष्ट्र का उभार
मुंबई, 4 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र सरकार ने 2024-25 में एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए राज्य के मछुआरों को किसानों का दर्जा देने का निर्णय किया है। यह कदम न केवल समुद्र किनारे बसे लाखों मछुआरा परिवारों के लिए एक नई उम्मीद की किरण है, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक मॉडल नीति के रूप में उभर सकता है।
राज्य के मंत्री नितेश राणे ने इस निर्णय के बारे में बताया कि केंद्र सरकार ने इस पहल से संबंधित सभी जानकारी मांगी है। उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार ने हमारे विभाग के सचिव रामस्वामी के माध्यम से सभी आवश्यक दस्तावेज और विवरण मांगे हैं। केंद्र इस बात का अध्ययन कर रहा है कि महाराष्ट्र ने मछुआरों को किसान का दर्जा देकर किस प्रकार इतनी बड़ी राहत और समर्थन प्रदान किया है।"
नितेश राणे ने कहा कि यह निर्णय केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से एक बड़ा परिवर्तन है। मछुआरों को किसान का दर्जा मिलने के बाद उन्हें वही अधिकार और सुविधाएं मिलेंगी, जो अब तक खेती करने वाले किसानों को प्राप्त होती आई हैं। जैसे सरकारी योजनाओं में प्राथमिकता, सब्सिडी, ऋण में छूट, बीमा योजनाओं में शामिल होने का अवसर और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ।
राणे ने कहा कि इस निर्णय से न केवल मछुआरों की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होगी, बल्कि उत्पादन और रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे।
उन्होंने कहा, "हमारा मानना है कि जैसे किसान खेत में अन्न पैदा करता है, वैसे ही मछुआरा समुद्र से अन्न यानी ‘समुद्री अन्न’ निकालता है, इसलिए दोनों का दर्जा समान होना चाहिए।"
उन्होंने आगे बताया कि केंद्र सरकार अब इस मॉडल को पूरे देश में लागू करने की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार कर रही है।
राणे ने कहा, "केंद्र सरकार के स्तर पर इस नीति पर चर्चा चल रही है कि महाराष्ट्र की इस पहल को देशभर में कैसे अपनाया जा सकता है। मुझे पूरा भरोसा है कि यह मॉडल अब पूरे भारत में लागू होगा।"
इस कदम से महाराष्ट्र एक बार फिर सामाजिक और आर्थिक सुधारों में ‘मॉडल स्टेट’ के रूप में उभरकर सामने आया है।
मछुआरे समुदाय में इस निर्णय को लेकर जबरदस्त उत्साह है। कई संगठनों ने इसे 'ऐतिहासिक' और 'मछुआरों की असली पहचान देने वाला कदम' बताया है।
नितेश राणे ने कहा, "महाराष्ट्र ने जो शुरुआत की है, वह अब पूरे देश में लागू होगी।"