क्या मणिपुर में मानसून के साथ खेती की चुनौती बनी है?

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क्या मणिपुर में मानसून के साथ खेती की चुनौती बनी है?

सारांश

मणिपुर में मानसून के आगमन से किसानों ने खेती शुरू की, लेकिन हिंसा और तनाव ने कृषि गतिविधियों में बाधा उत्पन्न की। जानिए इस स्थिति का क्या असर हो रहा है।

Key Takeaways

  • मणिपुर में मानसून के साथ खेती की शुरुआत।
  • स्थानीय किसानों में डर और असुरक्षा की भावना।
  • राज्य प्रशासन का सुरक्षा उपायों का आश्वासन।
  • संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की तैनाती।
  • केंद्र सरकार से संघर्ष का समाधान की अपेक्षा।

इंफाल, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मणिपुर में मानसून के आगमन के साथ किसानों ने अपने खेतों में धान और अन्य फसलों की बुवाई आरंभ कर दी है। लेकिन, राज्य के कई संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में समुदायों के बीच चल रहे तनाव के चलते खेती की गतिविधियों में बाधा उत्पन्न हो रही है। विशेष रूप से घाटी और पहाड़ी क्षेत्रों की सीमाओं पर व्याप्त तनाव और हिंसक घटनाएं किसानों के लिए नई चुनौतियों का सामना करने को मजबूर कर रही हैं।

हाल ही में लीटनपोकपी में एक घटना में कुकी समुदाय के सदस्यों द्वारा कथित रूप से किसानों को खेती करने से रोका गया। वहीं, बिष्णुपुर जिले के फुबाला में एक किसान पर धान के खेत में काम करते समय गोली चलाने की घटना ने उसे घायल कर दिया। इन घटनाओं ने स्थानीय किसानों में डर और असुरक्षा की भावना को जन्म दिया है।

इसका जवाब देते हुए ग्रामीणों ने खेती के मौसम के दौरान सुरक्षा और संरक्षण की मांग के लिए विरोध प्रदर्शन किया। राज्य प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए त्वरित कदम उठाए हैं। अधिकारियों ने दोनों समुदायों को आश्वासन दिया है कि उन्हें पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था के साथ खेती करने की अनुमति दी जाएगी।

इसके लिए संवेदनशील क्षेत्रों, विशेषकर घाटी-पहाड़ी सीमाओं पर जैसे इम्फाल पश्चिम के कांगचुप, कडांगबंद, कोत्रुक; इम्फाल पूर्व के लामलाई, सनसाबी, थमनापोकपी; और बिष्णुपुर जिले के फुबाला जैसे इलाकों में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। इन तैनातियों का मुख्य उद्देश्य आगे की झड़पों को रोकना और किसानों को शांतिपूर्वक खेती करने में सक्षम बनाना है।

कंगचुप-कडांगबंद क्षेत्र के एक किसान ने कहा, "हमें अभी भी डर बना हुआ है, लेकिन सुरक्षा बलों की मौजूदगी से कुछ राहत मिली है। हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार इस संघर्ष को जल्द सुलझाए ताकि हम पहले की तरह शांति से रह सकें।"

बिष्णुपुर के डिप्टी कमिश्नर ने हाल ही में फुबाला सहित प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने स्थानीय समुदायों से शांति बनाए रखने की अपील की थी। इसके अलावा, इम्फाल पूर्व, इम्फाल पश्चिम और काकचिंग जिलों में भी शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य और केंद्रीय बलों को तैनात किया गया है।

वहीं, राज्य प्रशासन का कहना है कि वह किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

Point of View

हमें यह समझना होगा कि मणिपुर की स्थिति देश के लिए चिंता का विषय है। किसानों की सुरक्षा और उनकी खेती की गतिविधियों को बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। राज्य और केंद्र सरकार को मिलकर इस समस्या का समाधान करना चाहिए।
NationPress
20/12/2025

Frequently Asked Questions

मणिपुर में खेती पर क्या प्रभाव पड़ा है?
मणिपुर में मानसून के साथ खेती शुरू होने के बावजूद, हिंसा और तनाव ने कृषि गतिविधियों को बाधित किया है।
क्या प्रशासन ने सुरक्षा के उपाय किए हैं?
हाँ, प्रशासन ने संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की तैनाती की है ताकि किसानों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
किसानों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
सरकार दोनों समुदायों को सुरक्षा प्रदान करने का आश्वासन दे रही है और आवश्यक कदम उठा रही है।
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