क्या अनुपूरक बजट पर वक्त रहते समीक्षा करना जरूरी है?

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क्या अनुपूरक बजट पर वक्त रहते समीक्षा करना जरूरी है?

सारांश

लखनऊ में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने अनुपूरक बजट के मुद्दे पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री को समय-समय पर बजटीय समीक्षा करनी चाहिए, अन्यथा गलत परंपराएं बनेंगी। जानिए पांडेय ने क्या कहा और क्यों यह मुद्दा महत्वपूर्ण है।

Key Takeaways

  • पारदर्शिता की आवश्यकता है बजट प्रबंधन में
  • अनुपूरक बजट लाना एक गलत परंपरा है
  • मुख्यमंत्री को समय-समय पर बजटीय समीक्षा करनी चाहिए
  • गरीबों के प्रति संवेदनशीलता जरूरी है
  • भ्रष्टाचार पर काबू पाने की आवश्यकता है

लखनऊ, 24 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश विधानसभा में अनुपूरक बजट पर चर्चा करते हुए नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा किया। उनका कहना था कि यदि मुख्यमंत्री समय-समय पर बजटीय समीक्षा करें, तो विभागों की वास्तविक वित्तीय स्थिति स्पष्ट हो सकती है। उन्होंने बार-बार अनुपूरक बजट लाने को एक गलत परंपरा बताते हुए सरकार की वित्तीय प्राथमिकताओं पर सवाल उठाए।

माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि अनुपूरक बजट लाना असंवैधानिक नहीं है, लेकिन इसे एक अच्छी परंपरा नहीं माना जा सकता। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बजट बनाते समय सभी संभावनाओं और राजस्व अनुमानों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए, क्योंकि बजट एक स्थापित और जिम्मेदार परंपरा का हिस्सा है। पांडेय ने कहा कि पहले जिलों में बजट संबंधी समितियां बनती थीं, जो आवश्यकताओं के आधार पर सिफारिशें करती थीं, लेकिन सरकार ने इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। इसे फिर से आरंभ किया जाना चाहिए ताकि जमीनी जरूरतों के अनुसार बजट आवंटन हो सके।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस बार करीब 24 हजार करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट लाया गया है, जबकि मूल बजट की तुलना में सरकार को लगभग 30 प्रतिशत कम राजस्व प्राप्त हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार विकास कार्यों की बजाय प्रचार-प्रसार पर अधिक खर्च करना चाहती है। जब धन की कमी होती है, तो योजनाओं में न्यूनतम राशि देकर औपचारिकता निभाई जाती है। आवास विकास विभाग का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जिस मद में बजट का प्रावधान किया गया, उसमें से करीब 80 प्रतिशत खर्च की अनुमति तो दे दी गई, लेकिन अब तक मूल बजट के अनुरूप स्वीकृतियां जारी नहीं हो पाई हैं। इससे योजनाएं कागजों तक सीमित रह जाती हैं।

दैवीय आपदाओं से संबंधित राहत राशि के मुद्दे पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि बजट की कमी के कारण तहसीलों में मुआवजा वितरण प्रभावित होता है। पैसा जारी होने के बावजूद जरूरतमंदों को समय पर सहायता नहीं मिल पाती और उन्हें जनप्रतिनिधियों के चक्कर काटने पड़ते हैं। उन्होंने मांग की कि राजस्व विभाग को पूरा बजट उपलब्ध कराया जाए ताकि आपदा पीड़ितों को समय पर राहत मिल सके।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आपदाएं अक्सर गरीबों के घरों में आती हैं, बड़े लोगों के यहां नहीं, इसलिए सरकार को गरीबों के प्रति संवेदनशील होकर राहत और पुनर्वास के लिए पर्याप्त संसाधन सुनिश्चित करने चाहिए। कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश में बड़े अपराधियों पर कार्रवाई होती दिख रही है, लेकिन छोटे अपराधियों पर कोई नियंत्रण नहीं है। ये लोग सत्ता से जुड़े होने के कारण बच निकलते हैं, जिससे आम और गरीब जनता परेशान है।

उन्होंने थाना और तहसील स्तर पर फैले भ्रष्टाचार को गंभीर समस्या बताते हुए इसे गरीबों के शोषण का केंद्र करार दिया। नेता प्रतिपक्ष ने ‘नमामि गंगे’ योजना पर भी सवाल किया कि इसके लिए लगातार बजट आवंटित किया जा रहा है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि धन कहा और कैसे खर्च हो रहा है। संस्थाओं को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए उपभोक्ता फोरम में जजों की नियुक्ति और लोकायुक्त की नियुक्ति बेहद जरूरी है। इन पदों के रिक्त रहने से जनता को न्याय पाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

Point of View

लोकतंत्र में पारदर्शिता और जिम्मेदारी की आवश्यकता को दर्शाता है। यह एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर न केवल सरकार को ध्यान देना चाहिए, बल्कि आम जनता को भी जागरूक होना चाहिए।
NationPress
24/12/2025

Frequently Asked Questions

अनुपूरक बजट क्या होता है?
अनुपूरक बजट वह बजट है जो किसी वर्ष में मौजूदा बजट में आवश्यक परिवर्तनों के लिए पेश किया जाता है।
क्या अनुपूरक बजट लाना गलत है?
अनुपूरक बजट लाना असंवैधानिक नहीं है, लेकिन इसे एक अच्छी परंपरा नहीं माना जा सकता।
बजटीय समीक्षा का महत्व क्या है?
बजटीय समीक्षा से विभागों की वास्तविक वित्तीय स्थिति का पता चलता है और सही निर्णय लेने में मदद मिलती है।
सरकार को किस प्रकार की योजनाओं पर ध्यान देना चाहिए?
सरकार को विकास कार्यों और गरीबों के कल्याण पर ध्यान देना चाहिए।
आपदाओं के समय राहत राशि का वितरण कैसे होता है?
आपदाओं के समय राहत राशि का वितरण सरकारी योजनाओं के अनुसार किया जाता है, लेकिन बजट की कमी से यह प्रभावित हो सकता है।
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