क्या मथुरा में मासूम की किडनी निकालने के आरोप में 15 लोगों पर एफआईआर हुई है?
सारांश
Key Takeaways
- मथुरा में एक किसान ने अपने बेटे की किडनी निकालने का आरोप लगाया है।
- कांता देवी मेडिकल कॉलेज के 15 लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई है।
- पुलिस मामले की जांच कर रही है।
- यह मामला चिकित्सा जगत की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।
- केडी अस्पताल पर पहले भी आरोप लगे हैं।
मथुरा, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मथुरा जिले में कांता देवी मेडिकल कॉलेज, हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर से संबंधित एक अत्यंत चौंकाने वाला मामला सामने आया है। राजस्थान के एक किसान ने अस्पताल के निदेशक और 7 नामित डॉक्टरों सहित कुल 15 व्यक्तियों पर अपने मासूम बेटे की किडनी निकालने का गंभीर आरोप लगाया है।
राजस्थान के जिला डीग (तहसील पहाड़ी) के गांव कैथवाड़ा निवासी भीम सिंह पुत्र यादराम ने पुलिस को अपनी शिकायत में यह आरोप लगाया है और रिपोर्ट दर्ज कराई है। भीम सिंह के अनुसार, उनके डेढ़ वर्षीय पुत्र मयंक को पेट में गांठ थी, जिसके उपचार के लिए उन्होंने उसे 31 मई 2024 को मथुरा के केडी मेडिकल कॉलेज लाया था।
भीम सिंह ने कहा कि अस्पताल में डॉक्टरों ने ऑपरेशन किया, लेकिन बाद में जांच में पता चला कि बच्चे की बाईं किडनी ही गायब है। इसके बाद उन्होंने पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत दर्ज कराई।
न्यायालय के हस्तक्षेप और धारा 173(4) बीएनएसएस के अंतर्गत दिए गए प्रार्थना पत्र के बाद पुलिस ने अस्पताल के प्रमुख लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। नामित आरोपियों में डॉ. श्यामबिहारी शर्मा, डॉ. समर्थ, डॉ. आशीष, डॉ. निश्चेतना, डॉ. दीपक अग्रवाल, डॉ. शालिनी, डॉ. पुष्पेंद्र और कांता देवी मेडिकल कॉलेज (अकबरपुर, मथुरा) शामिल हैं। इसके साथ ही 5-6 अन्य अज्ञात व्यक्तियों के नाम पर भी एफआईआर दर्ज की गई है।
छाता थाना पुलिस ने इस मामले में बीएनएस की धारा 143 (गैरकानूनी जनसमूह) और मानव अंग और ऊतक प्रतिरोपण अधिनियम 1994 की धारा 18 व 19 के अंतर्गत मामला दर्ज किया है। ये धाराएं मानव अंगों के अवैध व्यापार और बिना सहमति अंग निकालने से संबंधित हैं।
भीम सिंह का आरोप है कि डॉक्टरों ने गांठ निकालने के बहाने बच्चे की किडनी निकाल ली। जब उन्होंने जयपुर के अस्पतालों में दोबारा जांच कराई, तो किडनी गायब होने और संक्रमण की पुष्टि हुई। पीड़ित का आरोप है कि पूछताछ करने पर उन्हें डराया-धमकाया गया।
पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। इस घटना ने ब्रज क्षेत्र और राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में चिकित्सा जगत की विश्वसनीयता पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह पहली बार नहीं है कि मथुरा के केडी हॉस्पिटल पर आरोप लगे हों। केडी अस्पताल प्रबंधन कई बार आरोपों के घेरे में रहा है। कोरोना काल में भी मृतकों के शवों को लेकर भी तरह-तरह के आरोप लगे थे।
पुलिस अधिकारी मामले में जांच कर कार्रवाई की बात कह रहे हैं, वहीं केडी हॉस्पिटल की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।