क्या मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद का हल निकलेगा?

सारांश
Key Takeaways
- मथुरा का विवाद धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का है।
- हाईकोर्ट में आज सुनवाई होनी है।
- दोनों पक्षों के दावे और स्वामित्व के मुद्दे मौजूद हैं।
- मामले का समाधान सभी के लिए महत्वपूर्ण है।
- सामाजिक शांति बनाए रखने की आवश्यकता है।
मथुरा, 22 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में शुक्रवार को दोपहर 2 बजे इस मामले की महत्वपूर्ण सुनवाई होने जा रही है।
जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकल पीठ इस मामले को देख रही है, और यह संभावना है कि कोर्ट शुक्रवार को विवाद के प्रमुख बिंदुओं को निर्धारित कर सकता है, जो इस मुद्दे के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
यह विवाद श्री कृष्ण जन्मभूमि और उसके निकट स्थित शाही ईदगाह मस्जिद से संबंधित है। हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद उस स्थान पर बनी है, जो भगवान कृष्ण की जन्मभूमि है।
हिंदू पक्ष का कहना है कि शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण 17वीं सदी में औरंगजेब के शासनकाल में किया गया था, जब प्राचीन केशवदेव मंदिर को तोड़कर यह बनाई गई। उनका दावा है कि यह स्थल भगवान कृष्ण का जन्मस्थान है।
वहीं दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष मस्जिद की ऐतिहासिक और कानूनी वैधता का समर्थन करता है। इस विवाद में मंदिर की जमीन पर स्वामित्व, पूजा का अधिकार और स्थल की पुरातात्विक जांच जैसे मुद्दे शामिल हैं। वर्तमान में इलाहाबाद हाईकोर्ट में 18 से अधिक याचिकाएं लंबित हैं, जिनमें दोनों पक्ष अपने-अपने दावे प्रस्तुत कर रहे हैं।
इन याचिकाओं पर हाईकोर्ट में अक्टूबर 2023 से सुनवाई चल रही है। हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद के तर्ज पर कर रहा है। कोर्ट ने पहले ही कई याचिकाओं को एक साथ जोड़कर सुनवाई शुरू की है, ताकि मामले का शीघ्र समाधान हो सके। शुक्रवार की सुनवाई में कोर्ट द्वारा वाद के बिंदुओं को तय किए जाने की संभावना है, जिससे यह स्पष्ट होगा कि मामले में किन कानूनी पहलुओं पर विचार किया जाएगा।
यह मामला धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से संवेदनशील है। हिंदू पक्ष मंदिर के पुनर्निर्माण और जमीन पर अपने अधिकार की मांग कर रहा है, जबकि मुस्लिम पक्ष मस्जिद के ऐतिहासिक महत्व को बनाए रखने की बात करता है।