क्या कांशीराम के नाम पर सपा-कांग्रेस का छलावा है? मायावती का आरोप

सारांश
Key Takeaways
- कांशीराम के प्रति सपा और कांग्रेस का रवैया जातिवादी है।
- मायावती ने दोनों दलों की नीतियों की आलोचना की।
- जातिवाद के खिलाफ जागरूक रहने की जरूरत है।
लखनऊ, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की नेता मायावती ने कांशीराम के संदर्भ में सपा और कांग्रेस पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि बसपा के संस्थापक और बहुजन आंदोलन के जनक कांशीराम के प्रति इन राजनीतिक दलों का व्यवहार हमेशा से जातिवादी और द्वेषपूर्ण रहा है।
मायावती ने मंगलवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा कि देश में जातिवादी व्यवस्था के शिकार करोड़ों दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़े बहुजनों को डॉ. भीमराव अंबेडकर के आत्मसम्मान आंदोलन को नई दिशा देने वाले कांशीराम के प्रति विरोधी पार्टियों, विशेषकर सपा और कांग्रेस, का रवैया हमेशा से जातिवादी और द्वेषपूर्ण रहा है।
उन्होंने कहा कि सपा प्रमुख द्वारा आगामी 9 अक्टूबर को कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर संगोष्ठी आयोजित करने की घोषणा “मुँह में राम, बगल में छुरी” कहावत को चरितार्थ करती है। बसपा प्रमुख ने कहा कि सपा ने न केवल कांशीराम के जीवनकाल में उनके आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की, बल्कि बसपा सरकार द्वारा 17 अप्रैल 2008 को अलीगढ़ मंडल के अंतर्गत बनाए गए कांशीराम नगर जिले का नाम भी जातिवादी सोच और राजनीतिक द्वेष के कारण बदल दिया। इसके अतिरिक्त, बसपा सरकार के दौरान कांशीराम के नाम पर स्थापित विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और अस्पतालों के नाम भी सपा सरकार ने बदल दिए।
उन्होंने कहा कि यह सपा की घोर दलित विरोधी सोच का परिचायक है। मायावती ने कहा कि कांशीराम के निधन के समय जब पूरा देश शोक में था, तब भी सपा सरकार ने एक दिन का राजकीय शोक घोषित नहीं किया। कांग्रेस की तत्कालीन केंद्र सरकार ने भी राष्ट्रीय शोक की घोषणा नहीं की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों पार्टियां समय-समय पर वोटों की राजनीति के लिए कांशीराम का नाम लेकर केवल दिखावा करती हैं। उन्होंने लोगों से ऐसी जातिवादी और संकीर्ण सोच वाली पार्टियों से सतर्क रहने की अपील की।
एक अन्य पोस्ट में मायावती ने महर्षि वाल्मीकि जयंती पर देशवासियों और उनके अनुयायियों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं।