क्या मोगा में महिलाएं सोलह श्रृंगार कर मना रही हैं सुहाग का पर्व?

सारांश
Key Takeaways
- करवा चौथ एक पारंपरिक पर्व है जो विवाहिता महिलाओं के लिए विशेष है।
- महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी उम्र के लिए उपवास करती हैं।
- सोलह श्रृंगार और पूजा की थालियाँ तैयार की जाती हैं।
- यह पर्व प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।
- समाज में परिवार और रिश्तों के महत्व को दर्शाता है।
मोगा, 10 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सम्पूर्ण देश में करवा चौथ का व्रत धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस खास अवसर पर विवाहित महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए उपवास रखा है। करवा चौथ की पूजा के लिए विभिन्न स्थानों पर विशेष आयोजन किए जा रहे हैं।
पंजाब के मोगा शहर में भी करवा चौथ का उत्सव अत्यधिक रंगीन और पारंपरिक तरीके से मनाया जा रहा है। मोगा की महिलाओं ने रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में सजकर शानदार प्रस्तुतियां दीं। इस कार्यक्रम में एडीसी चारुमीता, बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद की बहन मालविका सूद और मिस पंजाबन जस ढिल्लों ने अपनी उपस्थिति से रौनक बढ़ाई।
दूसरी ओर, चंडीगढ़ सेक्टर 8 स्थित शिव मंदिर में भी करवा चौथ पूजा का आयोजन किया गया। मंदिर में सैकड़ों महिलाएं पारंपरिक साड़ियों और लहंगों में सजकर पहुंचीं। पुजारी ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा संपन्न कराई। इसके बाद महिलाओं ने परंपरा अनुसार थालियों का आदान-प्रदान किया और एक-दूसरे को आशीर्वाद दिया।
महिलाओं ने कहा कि करवा चौथ सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि अपने जीवनसाथी के प्रति प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक है। यह पर्व भारतीय संस्कृति की उस परंपरा को दर्शाता है जिसमें परिवार और रिश्तों का बंधन सर्वोपरि माना जाता है।
मोगा और चंडीगढ़ सहित पूरे उत्तर भारत में करवा चौथ के रंग आज पूरे दिन छाए रहे। मंदिरों, पार्कों और सामुदायिक केंद्रों में महिलाएं गीत-संगीत, सजावट और पूजा के साथ इस पवित्र पर्व का आनंद लेती दिखीं।
गौरतलब है कि करवा चौथ की तैयारी महिलाएं कई दिन पहले से ही शुरू कर देती हैं। सोलह श्रृंगार, पूजा की थाली, करवा और चंद्र दर्शन के लिए आवश्यक सामग्री को लेकर उत्साह हर महिला के चेहरे पर साफ दिखाई देता है। व्रत के दिन महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले सरगी करती हैं। इसके बाद पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं और शाम को पारंपरिक वस्त्रों में दुल्हन की तरह सजती-संवरती हैं।
शाम होते ही महिलाएं एक साथ इकट्ठा होकर करवा चौथ की कथा सुनती हैं। कथा के दौरान वे करवे की अदला-बदली करती हैं, गीत गाती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं। चांद निकलने के बाद महिलाएं छलनी के जरिए अपने पति का चेहरा देखकर और चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करती हैं।