क्या शिगेरु इशिबा के इस्तीफे के बाद मोटेगी एलडीपी नेतृत्व की दौड़ में शामिल होंगे?

सारांश
Key Takeaways
- तोषिमित्सु मोटेगी का चुनावी मैदान में उतरना पार्टी के लिए नई संभावनाएं खोल सकता है।
- इशिबा का इस्तीफा एलडीपी के भीतर गहरा असंतोष दर्शाता है।
- अन्य संभावित दावेदारों की मौजूदगी से चुनावी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
- 2024 के चुनावों से पहले पार्टी को मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता है।
- पार्टी को जनता का विश्वास पुनः प्राप्त करने के लिए एकजुट होना होगा।
टोक्यो, 8 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जापान के पूर्व विदेश मंत्री तोषिमित्सु मोटेगी ने प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के इस्तीफे के बाद सत्तारूढ़ पार्टी एलडीपी के अध्यक्ष चुनाव में भाग लेने का मन बनाया है।
जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने रविवार शाम को अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की, जो एलडीपी के भीतर बढ़ते असंतोष के बीच आया।
जुलाई में हुए उच्च सदन के चुनाव में मिली हार के कारण एलडीपी-कोमेइतो गठबंधन ने अपना बहुमत खो दिया था।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने सोमवार को क्योडो न्यूज के हवाले से बताया कि इशिबा ने पार्टी की चुनावी हार की जिम्मेदारी लेने की बढ़ती मांग के बीच यह कदम उठाया।
सूत्रों के अनुसार, मुख्य कैबिनेट सचिव योशिमासा हयाशी ने भी चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। एलडीपी मंगलवार तक मतदान प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की उम्मीद कर रही है। तोषिमित्सु मोटेगी और योशिमासा हयाशी दोनों पिछले वर्ष की नेतृत्व की दौड़ में भाग ले चुके हैं। अनुभवी राजनेता मोटेगी एलडीपी के नीति प्रमुख भी रह चुके हैं।
अन्य संभावित दावेदारों में पूर्व आर्थिक सुरक्षा मंत्री साने ताकाइची और कृषि मंत्री शिंजीरो कोइज़ुमी शामिल हैं।
जुलाई में हुए चुनाव में एलडीपी की हार 2024 के प्रतिनिधि सभा चुनाव में भी इसी तरह के परिणामों के बाद आई है, जिससे सत्तारूढ़ गुट संसद के दोनों सदनों में अल्पमत में आ गया है। 1955 में एलडीपी की स्थापना के बाद से यह पहली बार हुआ है।
इससे पहले की खबरों में बताया गया था कि पार्टी के प्रेसिडेंशियल चुनाव की मांग करने वाले सांसद सोमवार को एलडीपी मुख्यालय जाएंगे और अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए एक पत्र प्रस्तुत करेंगे।
नियमों के अनुसार, यदि पार्टी के अधिकांश सांसद और पार्टी के प्रीफेक्चुरल चैप्टर जल्द चुनाव के पक्ष में हैं, तो पार्टी को चुनाव कराना होगा।
इशिबा के इस्तीफे के बाद पार्टी को उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति के लिए चुनाव कराना होगा।
एलडीपी के अध्यक्ष चुने जाने के कुछ ही दिनों बाद इशिबा पिछले साल 1 अक्टूबर को प्रधानमंत्री बने थे।
पिछले अक्टूबर में निचले सदन के चुनाव में एलडीपी के बहुमत खोने के बाद इशिबा अल्पमत सरकार चलाने के लिए संघर्ष कर रहे थे।