क्या मुंबई एयरपोर्ट पर मल्टी-एजेंसी रेडियोलॉजिकल इमरजेंसी मॉक ड्रिल का आयोजन हुआ?
सारांश
Key Takeaways
- संयुक्त प्रतिक्रिया क्षमता का अभ्यास किया गया।
- रेडियोलॉजिकल खतरे की स्थिति में तत्परता को मजबूत किया गया।
- आपातकालीन स्थितियों में त्वरित निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि हुई।
- अलग-अलग एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़ा।
- जन सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए जोखिम नियंत्रण में सुधार हुआ।
मुंबई, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मंगलवार को मुंबई एयरपोर्ट पर एक महत्वपूर्ण रेडियोलॉजिकल इमरजेंसी मॉक ड्रिल (आरईएमई) का आयोजन सफलतापूर्वक किया गया। यह अभ्यास एयरपोर्ट के डिपार्चर गेट पर किया गया, जिसमें कई प्रमुख एजेंसियों ने मिलकर आपातकालीन परिस्थितियों का सामना करने की संयुक्त क्षमता का प्रदर्शन किया।
इस मॉक ड्रिल में एनडीआरएफ, एमआईएएल, बीएआरसी, बीएमसी फायर, एआरएफएफ फायर यूनिट, चिकित्सा टीम, इमिग्रेशन विभाग, बीसीएएस और एयरलाइन स्टाफ ने भाग लिया। सभी टीमों ने मिलकर एक समन्वित प्रतिक्रिया प्रणाली का अभ्यास किया, जिससे यह सुनिश्चित किया गया कि रेडियोलॉजिकल खतरे की स्थिति में वे कितनी जल्दी, सटीकता और प्रभावी ढंग से कार्रवाई कर सकती हैं।
एयरपोर्ट जैसे हाई-फुटफॉल वाले संवेदनशील क्षेत्र में इस तरह के मॉक अभ्यास अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इन ड्रिल्स से न केवल संयुक्त एजेंसियों की तैयारी और तत्परता को मजबूत किया जाता है, बल्कि आपदा की स्थिति में तेज निर्णय लेने, जोखिम नियंत्रण और जन सुरक्षा सुनिश्चित करने की क्षमता में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी होती है।
सीआईएसएफ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस अभियान की जानकारी देते हुए लिखा, "मुंबई हवाई अड्डे पर बहु-एजेंसी रेडियोलॉजिकल आपातकालीन मॉक ड्रिल का आयोजन हुआ। मुंबई हवाई अड्डे के प्रस्थान द्वार पर एक आरईएमई आयोजित की गई, जिसमें एनडीआरएफ, एमआईएएल, बीएआरसी, बीएमसी फायर, एआरएफएफ फायर, चिकित्सा दल, इमिग्रेशन विभाग, बीसीएएस और एयरलाइन कर्मचारियों की सक्रिय भागीदारी रही। इसका उद्देश्य रेडियोलॉजिकल आपात स्थितियों के दौरान संयुक्त प्रतिक्रिया क्षमता और निर्बाध अंतर-संचालन को मजबूत करना था।"
सीआईएसएफ ने आगे कहा कि इस तरह की मॉक ड्रिल, उच्च-आवागमन वाले विमानन वातावरण में स्थितिजन्य तत्परता, त्वरित निर्णय लेने और रेडियोलॉजिकल आपात स्थितियों के प्रभावी प्रबंधन को बढ़ाने के लिए आवश्यक हैं।