क्या नबीनगर एक बार फिर राजद और जदयू की टक्कर का गवाह बनेगा?
सारांश
Key Takeaways
- नबीनगर एक ऐतिहासिक और ऊर्जा का केंद्र है।
- यहां की राजनीति में अप्रत्याशित परिणाम देखने को मिलते हैं।
- बिजली परियोजनाएं बिहार की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेंगी।
- राजद और जदयू के बीच मुकाबला जारी है।
- स्थानीय मुद्दों के आधार पर मतदाता निर्णय लेते हैं।
पटना, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। औरंगाबाद जिले का नबीनगर - यह केवल एक विधानसभा क्षेत्र नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा स्थल है जो इतिहास की धरोहर और भविष्य की ऊर्जा दोनों को अपने में समेटे हुए है। यह क्षेत्र कभी बिहार के पहले उप-मुख्यमंत्री की सीट रहा है और आज दो विशाल बिजली परियोजनाओं के माध्यम से पूरे राज्य की किस्मत बदलने की क्षमता रखता है।
हालांकि, नबीनगर की राजनीति इतनी आसान नहीं है। यहां के मतदाता हर चुनाव में अप्रत्याशित परिणाम देते हैं। यह सीट काराकाट लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है और इसकी चुनावी यात्रा रोलर कोस्टर जैसी रही है।
नबीनगर की सबसे हालिया कहानी 2020 के विधानसभा चुनाव से शुरू होती है। इस चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार विजय कुमार सिंह ने शानदार वापसी की। विजय कुमार ने जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के वीरेंद्र कुमार सिंह को बड़े अंतर से हराया।
साल 2000 के विधानसभा चुनाव में यह सीट राजद का गढ़ मानी जाती थी। फरवरी 2005 में भी राजद ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। लेकिन उसी साल अक्टूबर में हुए दोबारा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी के विजय राम विजेता बने और सीट राजद के हाथ से निकल गई।
साल 2010 और 2015 के चुनावों में जदयू ने अपनी स्थिति मजबूत की। वीरेंद्र कुमार सिंह (जदयू) ने 2010 और फिर 2015 में अपनी जीत दोहराई। इन दो चुनावों में जदयू की पकड़ बहुत मजबूत दिखी।
2020 के नतीजे ने यह स्पष्ट कर दिया कि नबीनगर अब किसी एक दल की स्थायी सीट नहीं है। यहां मतदाता हर बार स्थानीय मुद्दों और उम्मीदवार के काम के आधार पर निर्णय लेते हैं।
नबीनगर को केवल राजनीतिक अतीत के लिए नहीं जाना जाता, बल्कि यह 'न्यू बिहार' की कहानी भी लिख रहा है। यह नगर आज एक बड़े ऊर्जा क्रांति की दहलीज पर खड़ा है। यहां दो विशाल विद्युत परियोजनाएं आकार ले रही हैं, जो न सिर्फ बिहार बल्कि भारतीय रेल को भी रोशनी देंगी।
नबीनगर सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट एक विशाल कोयला आधारित थर्मल पावर परियोजना है। इसमें 660 मेगावाट की तीन इकाइयां तैयार हो रही हैं, जो कुल 1,980 मेगावाट बिजली पैदा करेंगी। एनटीपीसी (एनटीपीसी) और बिहार सरकार की बिजली होल्डिंग कंपनी की यह 2,970 एकड़ में फैली संयुक्त पहल है। कहा जाता है कि यह पूरा होने पर भारत का तीसरा सबसे बड़ा बिजलीघर बनेगा।
भारतीय रेल बिजली कंपनी लिमिटेड एनटीपीसी की सहायक कंपनी द्वारा विकसित 1,000 मेगावाट की थर्मल परियोजना है। इसकी खास बात यह है कि यहां उत्पन्न होने वाली 90 प्रतिशत बिजली भारतीय रेल को मिलेगी, जबकि 10 प्रतिशत बिहार को प्राप्त होगी।
नबीनगर का एक गौरवशाली इतिहास है। यह 1951 से विधानसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और आजाद बिहार के पहले उप-मुख्यमंत्री तथा वित्त मंत्री अनुग्रह नारायण सिन्हा की विधानसभा सीट भी यही थी। शुरुआती दशकों में कांग्रेस का यहां वर्चस्व था, जिसने आठ बार जीत हासिल की।
सिन्हा परिवार ने नवीनगर की राजनीति को दशकों तक दिशा दी। अनुग्रह बाबू के पुत्र सत्येन्द्र नारायण सिन्हा भी मुख्यमंत्री रहे थे। आज भले ही राजनीति राजद और जदयू के बीच सिमट गई हो, लेकिन इतिहास का यह प्रभाव क्षेत्र में हमेशा महसूस किया जाता है।
महज कुछ ही दिनों में शुरू हो रहे बिहार विधानसभा चुनाव में माहौल फिलहाल विकास, रोजगार और स्थानीय बुनियादी सुविधाओं के मुद्दों पर केंद्रित है। राजद अपने गढ़ को बचाने में जुटी है, जबकि जदयू इसे वापस हासिल करने के लिए जोर लगा रही है।