क्या नई एआई तकनीक आंतों के बैक्टीरिया की समझ में मदद करेगी?

Click to start listening
क्या नई एआई तकनीक आंतों के बैक्टीरिया की समझ में मदद करेगी?

सारांश

टोक्यो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक नई एआई तकनीक का उपयोग करके आंतों के बैक्टीरिया के संबंधों का विश्लेषण किया है। इस तकनीक से स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का समाधान खोजना संभव हो सकता है। जानिए कैसे यह तकनीक स्वास्थ्य विज्ञान में एक नई दिशा प्रदान कर सकती है।

Key Takeaways

  • नई एआई तकनीक आंतों के बैक्टीरिया का विश्लेषण करती है।
  • यह पारंपरिक तरीकों से बेहतर परिणाम देती है।
  • स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान खोजने में मददगार।
  • व्यक्तिगत उपचार के लिए संभावनाएं।
  • बैक्टीरिया और मेटाबोलाइट्स के बीच संबंधों को समझने में सहायक।

टोक्यो, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। टोक्यो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पहली बार एक विशेष प्रकार की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक का उपयोग किया है, जिसे बायेसियन न्यूरल नेटवर्क कहा जाता है। इस तकनीक का इस्तेमाल उन्होंने आंतों (गट) में मौजूद बैक्टीरिया से संबंधित जानकारी का विश्लेषण करने के लिए किया। इसके माध्यम से वे उन संबंधों को समझने में सफल हुए हैं, जिन्हें पारंपरिक तरीकों से सही ढंग से नहीं पहचाना जा सकता था।

आपकी आंतों में लगभग 100 ट्रिलियन बैक्टीरिया होते हैं, जबकि पूरे मानव शरीर में करीब 30 से 40 ट्रिलियन कोशिकाएं होती हैं। ये आंतों के बैक्टीरिया कई स्वास्थ्य संबंधित चिंताओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और हमारी सेहत से जुड़ी अनेक समस्याओं में मुख्य कारण माने जाते हैं।

बायोलॉजिकल साइंसेज विभाग में त्सुनोदा लैब के प्रोजेक्ट रिसर्चर तुंग डांग ने बायोइनफॉरमैटिक्स पर प्रकाशित एक पेपर में कहा कि हमें अभी तक यह सही से नहीं पता है कि कौन-सा बैक्टीरिया कौन-से मेटाबोलाइट्स का निर्माण करता है और ये संबंध विभिन्न बीमारियों में कैसे परिवर्तित होते हैं। अगर हम इन बैक्टीरिया और रासायनिक तत्वों के बीच सही संबंध को समझ सकें, तो भविष्य में हर व्यक्ति के लिए अनुकूलित उपचार तैयार किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, लाभकारी मानव मेटाबोलाइट्स का उत्पादन करने के लिए विशिष्ट बैक्टीरिया को विकसित किया जा सकता है, या फिर इन मेटाबोलाइट्स को विशेष बीमारियों के इलाज के लिए संशोधित किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि उनका बनाया सिस्टम स्वचालित रूप से यह पहचान लेता है कि इतने सारे बैक्टीरिया में से कौन-से मुख्य हैं जो मेटाबोलाइट्स पर सबसे अधिक प्रभाव डालते हैं। साथ ही, यह प्रणाली यह भी मानती है कि इसमें कुछ अनिश्चितता हो सकती है, ताकि गलत परिणामों से बचा जा सके।

डांग ने बताया कि जब इस प्रणाली का परीक्षण नींद की समस्याओं, मोटापे और कैंसर से संबंधित जानकारी पर किया गया, तो इसने पारंपरिक तरीकों की तुलना में कहीं बेहतर परिणाम दिए। इस सिस्टम ने ऐसे बैक्टीरिया की पहचान की जो पहले से ज्ञात जैविक प्रक्रियाओं के साथ मेल खाते हैं। इससे यह विश्वास बढ़ता है कि यह सिस्टम केवल आंकड़ों का खेल नहीं है, बल्कि वास्तविक जैविक संबंधों को पकड़ने में सक्षम है।

हालांकि इस तकनीक को इतना बड़ा डेटा देखने के लिए काफी कंप्यूटर पावर की आवश्यकता होती है, लेकिन समय के साथ यह समस्या भी हल होने की संभावना है। शोधकर्ता डांग ने कहा कि वे आगे और अधिक गहराई से उन रासायनिक तत्वों का अध्ययन करना चाहते हैं, जिनका पता लगाना होगा कि वे बैक्टीरिया से आए हैं, हमारे शरीर से या फिर हमारे भोजन से।

Point of View

यह स्पष्ट है कि नई एआई तकनीक से स्वास्थ्य विज्ञान में एक महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। यह न केवल शोधकर्ताओं को आंतों के बैक्टीरिया के बारे में गहराई से समझने में मदद करेगी, बल्कि भविष्य में व्यक्तिगत उपचार के विकास में भी सहायक सिद्ध हो सकती है।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

नई एआई तकनीक क्या है?
नई एआई तकनीक, जिसे बायेसियन न्यूरल नेटवर्क कहा जाता है, आंतों के बैक्टीरिया की जानकारी का विश्लेषण करने के लिए इस्तेमाल की जाती है।
इस तकनीक से हमें क्या लाभ मिलेगा?
यह तकनीक हमें बैक्टीरिया और मेटाबोलाइट्स के बीच संबंधों को समझने में मदद करेगी, जिससे व्यक्तिगत उपचार विकसित किए जा सकते हैं।
क्या यह तकनीक सफल होगी?
शोधकर्ताओं का मानना है कि यह तकनीक पारंपरिक तरीकों की तुलना में बेहतर परिणाम दे सकती है और स्वास्थ्य विज्ञान में नई दिशा प्रदान कर सकती है।