क्या नटराजासन मांसपेशियों के लिए वरदान है, तनाव और मानसिक थकान को दूर करता है?

सारांश
Key Takeaways
- नटराजासन मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
- यह तनाव और थकान को कम करता है।
- रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है।
- ध्यान लगाने की क्षमता बढ़ाता है।
- यह मानसिक संतुलन प्रदान करता है।
नई दिल्ली, 13 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। योग हमारे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है, जो केवल शरीर को स्वस्थ नहीं बनाता, बल्कि मन को भी शांति और संतुलन प्रदान करता है। योग के विभिन्न आसनों में से, नटराजासन एक अद्वितीय और प्राचीन मुद्रा है। इसे डांसर पोज भी कहा जाता है, क्योंकि इस आसन में शरीर की स्थिति नृत्य के समान लगती है। नटराजासन शरीर के संतुलन को सुधारने में सहायक है और हड्डियों एवं मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। आजकल, अधिकांश लोग शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द या मांसपेशियों की समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जिसका मुख्य कारण गलत बैठना या चलना होता है। नियमित अभ्यास से नटराजासन उन दर्द और समस्याओं में काफी राहत देता है। यह आसन भगवान शिव की नटराज मुद्रा से प्रेरित है, जो न केवल शरीर को संतुलित करता है, बल्कि मानसिक रूप से भी स्थिरता और शांति प्रदान करता है।
आयुष मंत्रालय (मध्य प्रदेश) की आधिकारिक वेबसाइट पर इसे करने का तरीका और इसके फायदों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। नटराजासन का नियमित अभ्यास पूरे शरीर में ब्लड फ्लो को बेहतर बनाता है। जब रक्त सही तरीके से शरीर के अंगों में पहुंचता है, तो वे बेहतर तरीके से कार्य करते हैं और हमें अधिक ऊर्जा मिलती है। इसके साथ ही, यह हृदय को भी मजबूत बनाता है और थकान को कम करता है। बेहतर रक्त प्रवाह से त्वचा भी स्वस्थ और चमकदार बनती है। इस प्रकार, नटराजासन जैसे योगासन करना शरीर के लिए अत्यधिक लाभकारी होता है।
इस योग का अभ्यास करने से तनाव कम होता है और मन को शांति मिलती है। जब हम यह आसन करते हैं, तो हमारा शरीर और दिमाग दोनों रिलैक्स होते हैं। इससे चिंता और घबराहट दूर होती है। योग की यह मुद्रा हमें अंदर से मजबूत और खुश महसूस कराती है। रोजाना नटराजासन करने से हम अपने मन को नियंत्रित कर पाते हैं और अच्छा महसूस करते हैं।
नटराजासन योग रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है। जब हम इस आसन का अभ्यास करते हैं, तो हमारी पीठ की मांसपेशियाँ और हड्डियाँ मजबूत होती हैं। इससे रीढ़ की हड्डी ठीक से कार्य करती है और कमर दर्द जैसी समस्याएँ कम होती हैं। यह आसन पीठ की मांसपेशियों को आराम देता है। नियमित अभ्यास से हमारी रीढ़ की हड्डी मजबूत और स्वस्थ रहती है, जिससे हम आसानी से चल-फिर सकते हैं और अच्छा महसूस करते हैं।
इस योग को करने से ध्यान लगाने की शक्ति बढ़ती है। जब हम इस आसन में संतुलन बनाते हैं, तो हमारा मन एक जगह टिक जाता है और भटकता नहीं है। इससे हमारी सोच स्पष्ट होती है और हम किसी काम पर अधिक ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। रोजाना नटराजासन करने से मन शांत रहता है, जिससे पढ़ाई या किसी भी काम में फोकस बढ़ता है।
नटराजासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले आप किसी साफ और समतल जगह पर खड़े हो जाएं। कोशिश करें कि आप ऐसा स्थान चुनें जहाँ आपको संतुलन बनाने में आसानी हो। अब अपने शरीर को आराम दें और गहरी सांस लें। इसके बाद धीरे-धीरे दायें पैर को पीछे की ओर मोड़ें और हाथ से उस पैर के टखने को पकड़ लें। जब पैर को पकड़ लें तो उसे ऊपर की ओर उठाने का प्रयास करें। इस दौरान बाएँ हाथ को सामने सीधा फैलाएं ताकि आप अपने शरीर का संतुलन बनाए रख सकें। इस स्थिति में जितना हो सके स्थिर रहें और गहरी सांस लेते रहें। लगभग 15 से 20 सेकंड तक इसी स्थिति में रहने के बाद धीरे-धीरे पैर छोड़ें और सामान्य स्थिति में वापस आ जाएं। अब इसी प्रक्रिया को दूसरे पैर से दोहराएं।