क्या नौसेना का ‘निस्तार’ चांगी नेवल बेस पहुंचा, साउथ चाइना सी में करेगा सैन्य अभ्यास?

सारांश
Key Takeaways
- आईएनएस निस्तार एक प्रमुख डाइविंग सपोर्ट वेसल है।
- यह साउथ चाइना सी में सैन्य अभ्यास में भाग ले रहा है।
- 40 से अधिक देशों की भागीदारी।
- 80 प्रतिशत स्वदेशी तकनीक का उपयोग।
- पनडुब्बी बचाव क्षमताओं में वृद्धि।
नई दिल्ली, 15 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय नौसेना का नवीनतम डाइविंग सपोर्ट वेसल आईएनएस निस्तार अब साउथ चाइना सी में होने वाले सैन्य अभ्यास में भाग लेने के लिए सिंगापुर के चांगी नेवल बेस पर पहुँच चुका है। यह जहाज अपनी पहली विदेशी यात्रा पर है।
आईएनएस निस्तार को स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है। यह भारतीय नौसेनिक पोत बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास ‘पैसिफिक रीच 2025 (एक्सपीआर-25)’ में हिस्सा लेने जा रहा है, जो 15 सितंबर से शुरू होने वाला है। 2018-19 में भारत ने दो डीएसआरवी निस्तार (पूर्वी और पश्चिमी तट के लिए) के शामिल होने के बाद से पनडुब्बी बचाव प्रणाली के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।
यह प्रणाली 650 मीटर गहराई तक बचाव कार्य करने में सक्षम है। इस अभ्यास में 40 से अधिक देश शामिल होंगे, जो सीधे प्रतिभागी या पर्यवेक्षक के रूप में भाग लेंगे। यह अभ्यास दो चरणों में आयोजित होगा: हार्बर फेज और सी फेज।
हार्बर फेज एक सप्ताह तक चलेगा और इसमें पनडुब्बी बचाव प्रणाली पर चर्चा होगी, साथ ही विभिन्न विशेषज्ञों के बीच विचार-विमर्श, चिकित्सा संगोष्ठी और प्रतिभागी देशों के बीच क्रॉस डेक विजिट भी होंगे। सी फेज के दौरान, आईएनएस निस्तार अन्य देशों के साथ मिलकर कई इंटरवेंशन और रेस्क्यू ऑपरेशन का अभ्यास करेगा। इस बहुपक्षीय युद्धाभ्यास का उद्देश्य विभिन्न देशों द्वारा संचालित पनडुब्बी बचाव प्लेटफॉर्म और साधनों को एक मंच पर लाना है।
आईएनएस निस्तार को ईस्टर्न फ्लीट के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग के कमांड और नियंत्रण में रखा गया है। इसे 18 जुलाई 2025 को नौसेना में कमीशन किया गया था। यह जहाज भारत की आत्मनिर्भरता और शिपबिल्डिंग क्षेत्र में उपलब्धियों का प्रतीक है। इसमें 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी उपकरणों और तकनीकों का प्रयोग किया गया है।
आईएनएस निस्तार गहरे समुद्र में सबमरीन रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए डीप रेस्क्यू व्हीकल के रूप में कार्य करेगा। आवश्यकता पड़ने पर इन्हें वेसल्स ऑफ अपॉर्च्युनिटी पर तैनात किया जा सकता है। इसके अलावा, इन्हें हवाई मार्ग से किसी भी तट पर भेजकर दूर समुद्रों में तैनात किया जा सकता है। अभ्यास के समुद्री चरण में, आईएनएस निस्तार और एसआरयू (ईस्ट) दक्षिण चीन सागर में सहभागी देशों की नौसैनिक इकाइयों के साथ मिलकर कई हस्तक्षेप एवं बचाव अभियानों का अभ्यास करेंगे।