क्या नवपाषाणम मंदिर में भगवान राम ने स्वयं समंदर में नवग्रह स्थापित किए?

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क्या नवपाषाणम मंदिर में भगवान राम ने स्वयं समंदर में नवग्रह स्थापित किए?

सारांश

नवपाषाणम मंदिर में भगवान राम द्वारा स्थापित नवग्रहों की अद्भुत कथा है। इस मंदिर का तालाब औषधियों से भरा है और भक्त यहां दूर-दूर से अपनी बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए आते हैं। जानें इस पवित्र स्थान की खासियतें और मान्यताएं।

Key Takeaways

  • नवग्रहों की स्थापना भगवान राम ने की थी।
  • तालाब का पानी औषधीय गुणों से भरपूर है।
  • भक्त यहां बीमारियों से छुटकारा पाने आते हैं।
  • तालाब में स्नान करने से स्वास्थ्य लाभ होता है।
  • यह स्थान धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है।

नई दिल्ली, 12 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हिंदू धर्म में नवग्रह को अत्यधिक महत्व प्रदान किया गया है। जब नवग्रह सही स्थिति में होते हैं, तो जीवन के हर कार्य में सरलता आती है। लेकिन यदि ग्रहों की स्थिति खराब हो जाती है, तो यह मनुष्य के जीवन में भूचाल ला सकती है। क्या आप जानते हैं कि तमिलनाडु के एक गांव में, समुद्र के किनारे स्थित तालाब में स्नान करने से लोग नवग्रहों को संतुलित करने के लिए दूर-दूर से आते हैं? ये तालाब औषधियों से भरपूर हैं।

तमिलनाडु के देवीपट्टिनम में, रामेश्वरम से 17 किलोमीटर की दूरी पर, एक विशेष नवग्रह मंदिर, नवपाषाणम मंदिर है। यहां भक्त अपनी बीमारियों से छुटकारा पाने और नवग्रहों को संतुलित करने के लिए आते हैं।

यह तालाब देखने में केवल एक छोटा सा जलाशय लगता है, जो तट के निकट है, लेकिन हिंदू धर्म में इसकी आस्था अपार है। किंवदंती के अनुसार, इस मंदिर और तालाब की स्थापना स्वयं भगवान राम ने की थी। उन्होंने रावण से युद्ध करने से पहले अपने हाथों से समुद्र में नवग्रहों की प्रतिमाएं गोलाकार में स्थापित की थीं और पूजा की थी। पूजा के पश्चात भगवान राम को यह वरदान मिला था कि पुल बनाने के दौरान उनकी वानर सेना को समुद्र की लहरें नुकसान नहीं पहुंचाएंगी।

भक्तों के लिए इस तालाब से जुड़ी अन्य मान्यताएं भी हैं। कहा जाता है कि तालाब का पानी अमृत के समान है और इसमें नौ जड़ी-बूटियों के गुण हैं। यहां स्नान करने से रोगों से छुटकारा मिलता है। भक्त इस तालाब का पानी अपने घर भी ले जाते हैं। माना जाता है कि इन्हीं नौ जड़ी-बूटियों से तमिल शैव सिद्ध बोगर ने पलानी मंदिर में भगवान मुरुगन की मूर्ति बनाई थी और यही गुण इस तालाब के पानी में भी समाहित हैं।

भक्त अपने पूर्वजों के तर्पण के लिए भी यहां आते हैं। वे तालाब में मौजूद नौ प्रतिमाओं की परिक्रमा करते हैं और उन पर फूलमाला अर्पित कर अपने पितरों को स्मरण करते हैं। हालांकि, तालाब में मौजूद प्रतिमाओं का कोई निश्चित आकार नहीं होता और वे आधी पानी के नीचे और आधी पानी के ऊपर रहती हैं। कई बार समुद्र का जल स्तर बढ़ने के कारण प्रतिमाएं पूरी तरह डूब जाती हैं।

समुद्र तट के निकट तालाब के पास एक और देवी का मंदिर भी है, जिसे हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र माना गया है। कहा जाता है कि देवी मां ने यहीं पर राक्षस महिषासुर का वध किया था।

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि हम धार्मिक स्थलों की आस्था और मान्यताओं को समझें। नवपाषाणम मंदिर हिंदू धर्म की गहराईयों को दर्शाता है और यहाँ की आस्था भक्तों के लिए एक संजीवनी का काम करती है। यह स्थान केवल धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि संस्कृति और परंपरा का भी प्रतीक है।
NationPress
12/11/2025

Frequently Asked Questions

नवपाषाणम मंदिर का महत्व क्या है?
यह मंदिर भगवान राम द्वारा स्थापित नवग्रहों के लिए प्रसिद्ध है, जहां भक्त बीमारियों से छुटकारा पाने आते हैं।
तालाब का पानी क्यों खास माना जाता है?
तालाब का पानी अमृत समान है और इसमें नौ जड़ी-बूटियों के गुण हैं जो स्नान करने से रोगों से छुटकारा दिलाते हैं।
क्या यहां स्नान करने से लाभ होता है?
हाँ, भक्त मानते हैं कि यहां स्नान करने से स्वास्थ्य लाभ होता है।
क्या नवपाषाणम मंदिर में अन्य देवी-देवताओं की पूजा होती है?
हाँ, यहां देवी महिषासुरमर्दिनी का भी मंदिर है।
नवग्रहों की स्थिति का क्या महत्व है?
नवग्रहों की सही स्थिति जीवन में सुख-समृद्धि लाती है।