क्या लोग बंदूक छोड़कर विकास की ओर बढ़ना चाहते हैं? नक्सलवाद का होगा अंत: विष्णु देव साय

सारांश
Key Takeaways
- 22 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।
- इन पर कुल 37.05 लाख रुपए का इनाम था।
- सरकार पुनर्वास और अन्य सुविधाएं प्रदान करेगी।
- मुख्यमंत्री ने नक्सलवाद समाप्त करने का संकल्प दोहराया।
- यह घटना नक्सलवाद के खिलाफ सकारात्मक संकेत है।
रायपुर, 11 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले में माओवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों को एक बड़ी सफलता प्राप्त हुई है। शुक्रवार को नारायणपुर पुलिस के समक्ष 22 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया, जिनमें 14 पुरुष और 8 महिलाएं शामिल हैं।
आत्मसमर्पण करने वाले इन माओवादी नक्सलियों पर कुल 37.05 लाख रुपए का इनाम घोषित था। ये नक्सली लंबे समय से अबूझमाड़ के घने जंगलों में सक्रिय थे और विभिन्न माओवादी गतिविधियों में संलग्न रहे हैं।
इन सभी नक्सलियों को प्रोत्साहन स्वरूप 50,000 रुपए का चेक प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त, छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल उन्मूलन नीति के तहत उन्हें पुनर्वास और अन्य सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार आत्मसमर्पित नक्सलियों के पुनर्वास के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है। उन्होंने 'डबल इंजन' सरकार के 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने के संकल्प को दोहराया।
सीएम विष्णु देव साय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "लोग अब बंदूक नहीं, विकास की राह पर साथ चलना चाहते हैं। नारायणपुर जिले में 37 लाख 50 हजार के 22 इनामी नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। इन आत्मसमर्पित नक्सलियों के ऊपर 50 हजार रुपए से लेकर 8 लाख रुपए तक के इनाम घोषित थे। हमारी सरकार में अब तक 1,476 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं। यह हमारी सरकार की नवीन आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025 एवं जनकल्याणकारी योजनाओं की सकारात्मकता का प्रमाण है। 'नियद नेल्लानार' जैसी योजनाओं ने विश्वास जगाया है, लोग हिंसा छोड़कर विकास की मुख्यधारा में लौट रहे हैं। इन आत्मसमर्पित नक्सलियों के पुनरुत्थान हेतु हम पूर्णतः संकल्पित हैं। 'डबल इंजन की सरकार' 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।"
नारायणपुर पुलिस और प्रशासन ने नक्सलियों के इस आत्मसमर्पण को एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह नक्सलियों के मनोबल को तोड़ने और क्षेत्र में शांति स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने बताया कि सरकार की नीतियों और विकास कार्यों ने उन्हें मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया।