क्या एनडीटीवी वर्ल्ड समिट 2025 में नितिन मित्तल ने एआई को अपनाने पर जोर दिया?

सारांश
Key Takeaways
- भारत पिछले 10-11 साल में तेजी से विकास कर रहा है।
- एआई को अपनाने से आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ेंगी।
- नवाचार और उत्पादन क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता है।
- युवाओं को एआई से डरने की बजाय इसे अपनाना चाहिए।
- भारत को अमेरिका और चीन से आगे बढ़ने के लिए अधिक प्रयास करने होंगे।
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। एनडीटीवी वर्ल्ड समिट 2025 में भाग लेने वाले डेलॉइट कंसल्टिंग के प्रिंसिपल और डब्ल्यूएसजे के लेखक नितिन मित्तल ने पिछले 11 साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुए विकास कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे एआई को अपने सहयोगी के रूप में अपनाएं।
उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि यह निश्चित रूप से मानने योग्य है कि भारत में पिछले 10-11 साल में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण विकास कार्य हुए हैं। उद्योग और उद्यमिता प्रधानमंत्री मोदी की प्राथमिकता का केंद्र रहे हैं। इस दौरान कई नीतिगत पहलें की गई हैं, जिन्होंने भारत की आर्थिक गति को तेजी दी है।
उनका कहना है कि वर्तमान में हो रहे विकास कार्यों के संदर्भ में यह कहना उचित है कि भारत विकसित भारत की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रहा है। एआई का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह भविष्य में विकसित भारत की अवधारणा को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। वर्तमान में, भारत में एआई जैसी तकनीकों को अपनाया जा रहा है, जिससे आर्थिक गतिविधियों में नई स्फूर्ति आएगी।
नितिन मित्तल ने कहा कि यदि हमें आर्थिक गतिविधियों को और तेज करना है, तो हमें अपनी उत्पादन क्षमता पर ध्यान केंद्रित करना होगा। नवाचार और उत्पादन क्षमता को बढ़ाने की दिशा में कार्य करना होगा। ऐसा करने पर निश्चित रूप से हमारी आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी।
उन्होंने युवाओं के बीच एआई के प्रति फैली भ्रांतियों पर कहा कि कृपया एआई से डरें नहीं, बल्कि इसे अपनाएं। एआई से संबंधित विशेष प्रशिक्षण हासिल करें। इसे अपना मित्र और सहकर्मी बनाएं। ऐसा करने से आपका समाज और उद्यम विकसित होंगे, और इस तरह पूरा देश भी आगे बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि निस्संदेह, भारत ने अन्य देशों की तुलना में एआई को अपनाना शुरू कर दिया है। हम इसे अपने जीवन का हिस्सा बना रहे हैं, लेकिन अमेरिका और चीन की तुलना में हमें यह स्वीकार करना होगा कि हम पीछे हैं।
यदि हम अमेरिका की तरह विकास चाहते हैं, तो हमें और अधिक प्रयास करने होंगे। नवाचार पर ध्यान देना आवश्यक है।