क्या नेपाल में विद्रोह की असली वजह पूर्व पीएम के पौत्र ने बताई?

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क्या नेपाल में विद्रोह की असली वजह पूर्व पीएम के पौत्र ने बताई?

सारांश

नेपाल में जेन जी द्वारा शुरू किया गया आंदोलन अब उग्र हो चुका है। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन और राष्ट्रपति आवास पर हमला किया है। पूर्व पीएम के पौत्र यशवंत मिश्रा का कहना है कि यह आंदोलन भ्रष्टाचार और सरकारी विफलताओं के खिलाफ है। जानें पूरी कहानी में क्या है।

Key Takeaways

  • नेपाल में जेन जी का आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ है।
  • सोशल मीडिया पर बैन से लोगों का गुस्सा भड़का।
  • सरकार की विफलताओं ने स्थिति को और बिगाड़ा।
  • युवाओं की बड़ी संख्या में भागीदारी है।
  • स्थिरता के लिए नए चुनाव और केयरटेकर सरकार की आवश्यकता है।

लखनऊ, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। नेपाल में जेन जी द्वारा आरंभ किया गया आंदोलन अब उग्र रूप धारण कर चुका है। लाखों युवा सड़कों पर उतर आए हैं और सरकार के खिलाफ ज़ोरदार प्रदर्शन कर रहे हैं।

ये विरोध केवल नारों और रैलियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब यह हिंसक रूप ले चुका है। संसद भवन, राष्ट्रपति आवास और प्रधानमंत्री निवास जैसे महत्वपूर्ण सरकारी स्थलों पर प्रदर्शनकारियों ने हमला किया और आगजनी की। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए नेपाल के राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और उनकी पूरी कैबिनेट को इस्तीफा देना पड़ा।

इस पूरी स्थिति पर नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री के.आई. सिंह के पौत्र यशवंत मिश्रा ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत की है, जिसमें उन्होंने मौजूदा हालात को एक मिसहैंडल्ड क्राइसिस बताया और सरकार की विफलताओं की ओर इशारा किया। उनके अनुसार नेपाल में लंबे समय से भ्रष्टाचार चरम पर था। सरकारें लगातार बदलती रही हैं, लेकिन आम जनता की समस्याएँ जस की तस बनी हुई थीं। देश की बड़ी जनसंख्या युवा है, जिन्हें जेन जी कहा जाता है।

उन्होंने बताया कि नेपाल की कुल जनसंख्या लगभग 3.2 करोड़ है, जिसमें से करीब 40 लाख लोग विदेशों में नौकरी करते हैं। ये लोग अपने परिवार से संपर्क में रहने के लिए सोशल मीडिया जैसे व्हाट्सएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम का उपयोग करते हैं। लेकिन जब सरकार ने इन सभी प्लेटफार्मों पर अचानक प्रतिबंध लगा दिया, तो यह फैसला आम जनता के लिए किसी झटके से कम नहीं था।

यशवंत मिश्रा का कहना है कि अब सोशल मीडिया लोगों की रोजमर्रा की ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। अचानक बिना किसी पूर्व सूचना के जब सरकार ने इन प्लेटफार्मों पर बैन लगाया तो स्वाभाविक रूप से लोगों में गुस्सा भड़क उठा। उनका मानना है कि सरकार को ऐसे फैसले लेने से पहले सोच-समझकर और चरणबद्ध तरीके से काम करना चाहिए।

यशवंत मिश्रा ने बताया कि यह विरोध तब और उग्र हो गया जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग शुरू कर दी। रबर बुलेट्स या कम घातक उपायों का इस्तेमाल किया जा सकता था, लेकिन पुलिस ने जानलेवा हथियारों का प्रयोग किया। एक स्कूली बच्चे की संसद भवन के बाहर गोली लगने से मौत हो गई, जो कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं किसी भी लोकतांत्रिक देश में नहीं होनी चाहिए।

यशवंत मिश्रा के अनुसार यह आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुआ था, लेकिन सरकार की गलत प्रतिक्रिया ने इसे हिंसक बना दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री चुपचाप अपनी सीट पर बैठे रहे, लेकिन जब हालात नियंत्रण से बाहर हो गए तो उन्हें हेलीकॉप्टर से भागना पड़ा। स्थिति इतनी भयावह हो गई कि सरकार को पुलिस और सेना तैनात करनी पड़ी। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन और संसद भवन को आग के हवाले कर दिया। यशवंत ने स्पष्ट किया कि हिंसा किसी भी हालत में उचित नहीं ठहराई जा सकती, लेकिन जब लोगों के पास कोई विकल्प नहीं बचता, तो वे आक्रोशित होकर ऐसे कदम उठाते हैं।

उन्होंने सुझाव दिया कि मौजूदा स्थिति को सुधारने के लिए नेपाल में एक अंतरिम केयरटेकर सरकार का गठन किया जाना चाहिए और 2026 में आम चुनाव कराए जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि नई सरकार को स्थिरता प्रदान करने के लिए उसमें राइट टू रिकॉल जैसे प्रावधान भी होने चाहिए।

यशवंत मिश्रा ने यह भी कहा कि अब नेपाल वह देश नहीं रहा जो 25 साल पहले था। अब वहां भारी मात्रा में विदेशी निवेश आ रहा है। 200 से ज्यादा बैंक रजिस्टर हैं, अमेरिका और भारत की आईटी कंपनियां वहां व्यापार कर रही हैं, और मल्टीनेशनल कंपनियों के असेंबली प्लांट्स लग चुके हैं। वहीं केवल पिछले महीने ही 88,000 से अधिक विदेशी पर्यटक नेपाल आए हैं। इतने अवसर होने के बावजूद लोग विदेश जाने को मजबूर क्यों हैं?

उनका कहना है कि सरकार की अच्छी नीतियां भी जनता तक नहीं पहुंच पा रही थीं, क्योंकि बीच में ही घोटालेबाज़ सब कुछ खा जा रहे थे। उन्होंने कहा कि नेपाल में जेन जी द्वारा शुरू किया गया आंदोलन सिर्फ एक सोशल मीडिया बैन के खिलाफ नहीं था, बल्कि यह बरसों से चली आ रही भ्रष्ट और अक्षम शासन व्यवस्था के खिलाफ था।

Point of View

तो परिणाम ऐसे ही होते हैं। हमें एकजुट होकर एक स्थायी समाधान की दिशा में बढ़ना चाहिए।
NationPress
10/09/2025

Frequently Asked Questions

नेपाल के विद्रोह का कारण क्या है?
नेपाल में जेन जी द्वारा शुरू किया गया आंदोलन भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ है।
यशवंत मिश्रा का इस संदर्भ में क्या कहना है?
यशवंत मिश्रा का कहना है कि यह आंदोलन सरकार की विफलताओं के खिलाफ है।
नेपाल में कितने लोग विदेश में काम कर रहे हैं?
नेपाल की कुल जनसंख्या में लगभग 40 लाख लोग विदेशों में नौकरी कर रहे हैं।
सरकार ने सोशल मीडिया पर बैन क्यों लगाया?
सरकार ने अचानक सोशल मीडिया पर बैन लगाया, जिससे लोगों में गुस्सा भड़क उठा।
क्या नेपाल में सरकार को इस्तीफा देना पड़ा?
हां, परिस्थितियों को देखते हुए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा।