क्या नेपाल में जेन-जी ने राजनीतिक संस्कृति को बदल दिया है?

सारांश
Key Takeaways
- नेपाल में जेन-जी ने प्रधानमंत्री को इस्तीफा देने पर मजबूर किया।
- सोशल मीडिया का उपयोग कर युवा अपनी आवाज़ को प्रभावी तरीके से उठा रहे हैं।
- जेन-जी का आंदोलन विभिन्न देशों में राजनीतिक संस्कृति को बदल रहा है।
- भ्रष्टाचार और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर जेन-जी का सक्रियता बढ़ रहा है।
- हिंसक प्रदर्शनों ने कई देशों में स्थिति को और बिगाड़ा है।
नई दिल्ली, 11 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। नेपाल में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर बैन के बाद जेन-जी ने सड़कों पर उतरकर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को सत्ता से हटने पर मजबूर कर दिया। काठमांडू में हुए हिंसक प्रदर्शन में युवाओं की मृत्यु और सैकड़ों लोग घायल होने के कारण भारी जनाक्रोश उभरा, जिसके चलते नेपाल के प्रधानमंत्री को पद से इस्तीफा देना पड़ा।
राजनीतिक उथल-पुथल के बाद, नेपाल अब भारत के उन पड़ोसी देशों में शामिल हो गया है जहां युवाओं ने सरकार के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोला है। 2025 में जेन-जी ने एशिया के कई देशों में आंदोलन किए हैं।
युवाओं को देश का भविष्य माना जाता है। सोशल मीडिया पर सक्रिय युवा पीढ़ी के हालिया आंदोलनों पर नजर डालने पर यह स्पष्ट होता है कि जेन-जी अब सोशल मीडिया पर केवल आलोचक नहीं, बल्कि व्यवस्था परिवर्तन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को तत्पर है। हालांकि, कई देशों में इन प्रदर्शनों ने हिंसक रूप भी धारण किया है, जिससे जान-माल का व्यापक नुकसान हुआ है।
युवाओं ने अपनी आवाज को देश और विदेश में फैलाने के लिए सोशल मीडिया का कुशलता से उपयोग किया है। उनकी इंटरनेट पर सक्रियता, सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता और पारंपरिक राजनीतिक संरचनाओं के प्रति अविश्वास एक नई राजनीतिक संस्कृति को जन्म दे रही है। भविष्य में, यह जेन-जी पीढ़ी देश की राजनीति, समाज और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
नेपाल से पहले, श्रीलंका की जेन-जी ने जलवायु परिवर्तन, शिक्षा सुधार और भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियानों में सोशल मीडिया का लाभ उठाया। सितंबर 2025 में, श्रीलंका की संसद ने पूर्व राष्ट्रपति और उनके परिवारों को सरकारी सुविधाएं समाप्त करने का प्रस्ताव पारित किया। यह कदम 2022 के गंभीर आर्थिक संकट के बाद लोगों के असंतोष को देखते हुए उठाया गया, जिसके कारण व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए।
भारी विरोध के बीच, जुलाई 2022 में पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे पहले मालदीव और फिर सिंगापुर चले गए। राजपक्षे ने सिंगापुर से ईमेल के जरिए अपना इस्तीफा भेज दिया था। देश छोड़ने के लगभग दो महीने बाद, 2 सितंबर 2022 को गोटबाया राजपक्षे श्रीलंका लौट आए।
इससे पहले, जुलाई 2024 में जेन-जी पीढ़ी ने बांग्लादेश में भ्रष्टाचार और लोकतांत्रिक अधिकारों की मांग को लेकर ढाका में प्रदर्शन किए। उन्होंने अपनी बात को व्यापक स्तर पर उठाने के लिए सोशल मीडिया का लाभ उठाया।
जब बात बढ़ी तो युवाओं के असंतोष ने तत्कालीन पीएम शेख हसीना को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया। हिंसक प्रदर्शनों के बाद उन्हें भारत में शरण लेनी पड़ी। इसके बाद 8 अगस्त
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार, छात्रों के प्रदर्शनों पर और सुरक्षाबलों की कार्रवाई में एक हजार से अधिक लोग मारे गए।
इसी तरह, मई 2025 में जेन-जी ने मंगोलिया के प्रधानमंत्री लुव्सन्नामस्रेन ओयुन-एर्डीन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर विरोध प्रदर्शन किए। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के बेटे द्वारा किए गए अत्यधिक खर्चों के खिलाफ आवाज उठाई। वास्तव में, ओयुन-एर्डीन के सत्ता में आने के बाद से मंगोलिया में भ्रष्टाचार की स्थिति और बिगड़ गई है। प्रदर्शनों के बाद 3 जून
हाल ही में इंडोनेशिया में हुए आंदोलनों में कामगारों के साथ-साथ जेन-जी ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संसद सदस्यों को भारी भरकम हाउसिंग अलाउंस मिलने और महंगाई, युवा बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य के बजट में कटौती का विरोध करते हुए युवाओं ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए। इससे राजनीतिक स्थिरता पर दबाव बढ़ा। राष्ट्रपति और मंत्रिमंडल को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।