क्या नाइजीरिया की मस्जिद में धमाके से कम से कम 10 लोगों की मौत हुई?
सारांश
Key Takeaways
- नाइजीरिया के मैदुगुरी में मस्जिद में विस्फोट हुआ।
- 10 लोगों की मौत की खबर है।
- यह घटना क्षेत्र में हिंसा की नई लहर की संभावना को जन्म देती है।
- बोको हराम और अन्य जिहादी संगठनों से सुरक्षा खतरे बने हुए हैं।
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इस संघर्ष में 40,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।
बोर्नो, २५ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। नाइजीरिया के उत्तर-पूर्वी शहर मैदुगुरी में एक मस्जिद में शाम की नमाज के दौरान एक भयंकर विस्फोट हुआ। यह शहर बोर्नो राज्य की राजधानी है। स्थानीय समाचारों के अनुसार, इस धमाके में कम से कम दस नमाजियों की जान गई।
यह घटना बुधवार शाम की है। इसके बाद फिर से क्षेत्र में हिंसा बढ़ने की संभावना उत्पन्न हो गई है। यह क्षेत्र पिछले कई वर्षों से हिंसा का शिकार रहा है।
अभी तक किसी भी सशस्त्र समूह ने इस विस्फोट की जिम्मेदारी नहीं ली है।
मिलिशिया नेता बाबाकुरा कोलो ने बम विस्फोट की आशंका जताई है। अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले भी मैदुगुरी में उग्रवादियों ने मस्जिदों और भीड़-भाड़ वाले इलाकों को निशाना बनाया था। इसके लिए आत्मघाती हमलावरों और इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस का उपयोग किया गया था।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह धमाका गैंबोरू मार्केट इलाके की एक भीड़भाड़ वाली मस्जिद के अंदर हुआ। वहां लोग शाम की नमाज के लिए इकट्ठा हुए थे। अचानक हुए विस्फोट ने अफरा-तफरी मचा दी। मलबा और धुआं फैल गया, और लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे।
कोलो ने बताया कि प्रारंभिक जांच से लगता है कि विस्फोटक मस्जिद के अंदर रखा गया था, जिसे नमाज के बीच में विस्फोट किया गया। हालांकि, कुछ लोगों का कहना है कि यह हमला किसी आत्मघाती हमलावर द्वारा किया गया हो सकता है, लेकिन अधिकारियों ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
बोर्नो लंबे समय से बोको हराम और उससे जुड़े इस्लामिक स्टेट वेस्ट अफ्रीका प्रोविंस जैसे जिहादी संगठनों की हिंसा का केंद्र रहा है। हालांकि पूरे क्षेत्र में हिंसा होती रही है, लेकिन शहर में हाल के वर्षों में कोई बड़ा हमला नहीं हुआ है। ऐसे में यह घटना लोगों और सुरक्षा एजेंसियों के लिए अत्यंत चिंताजनक है।
बोको हराम ने वर्ष 2009 में बोर्नो राज्य से अपना विद्रोह शुरू किया था। इसका उद्देश्य एक इस्लामिक शासन स्थापित करना बताया जाता है। नाइजीरियाई सेना और पड़ोसी देशों के साथ मिलकर की गई निरंतर कार्रवाई के बावजूद, उत्तर-पूर्वी नाइजीरिया में छिटपुट हमले अब भी आम नागरिकों के लिए बड़ा खतरा बने हुए हैं।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, वर्ष 2009 से जारी इस हिंसा में अब तक कम से कम 40,000 लोगों की जान जा चुकी है। वहीं, करीब बीस लाख लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं। इस संघर्ष का मानवीय असर बहुत गहरा रहा है। बार-बार होने वाली हिंसा से कई समुदाय उजड़ गए हैं।
हालांकि, पिछले दशक की तुलना में हमलों में कमी आई है, लेकिन हिंसा नाइजीरिया की सीमाओं से परे पड़ोसी नाइजर, चाड और कैमरून तक फैल गई है। इससे पूरे क्षेत्र की सुरक्षा चुनौतियां और बढ़ गई हैं। अब एक बार फिर आशंका जताई जा रही है कि उत्तर-पूर्वी नाइजीरिया के कुछ हिस्सों में हिंसा दोबारा तेज हो सकती है।