क्या नोएडा में फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ हुआ? विदेशी नागरिकों को ठगने वाले 18 लोग गिरफ्तार!

सारांश
Key Takeaways
- नोएडा में फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ हुआ।
- 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
- आरोपी तकनीकी सहायता के नाम पर ठगी कर रहे थे।
- साइबर सुरक्षा की आवश्यकता को समझना जरूरी है।
- सतर्क रहकर हम ठगी से बच सकते हैं।
नोएडा, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। नोएडा पुलिस ने एक फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश करते हुए 2 महिलाओं समेत 18 लोगों को गिरफ्तार किया है, जो विदेशी नागरिकों से लाखों की ठगी कर चुके हैं।
नोएडा के थाना फेस-3 पुलिस और सीआरटी टीम ने सेक्टर-65 में स्थित इस फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया। पुलिस ने आरोपियों के पास से 23 लैपटॉप, 25 हेडसेट, 23 माउस, 27 लैपटॉप चार्जर, 17 मोबाइल फोन, एक पेन ड्राइव और माइक्रोसॉफ्ट के नाम पर बने कुछ फर्जी आईडी कार्ड बरामद किए हैं।
पुलिस का कहना है कि आरोपी गूगल ऐप्स के जरिए अमेरिका के डेटा वेंडर्स से विदेशी नागरिकों का डेटा खरीदते थे। इसके बाद, ये लोग एक्स-लाइट और आईबीएम जैसे एप्लिकेशनों के माध्यम से इंटरनेट कॉल करते हुए खुद को माइक्रोसॉफ्ट सपोर्ट का तकनीकी विशेषज्ञ बताकर कंप्यूटर में वायरस होने का डर दिखाते थे। कॉल के दौरान, ये टीम व्यूअर और अल्ट्रा व्यूअर जैसे रिमोट एक्सेस सॉफ्टवेयर डाउनलोड करवाकर पीड़ित के कंप्यूटर पर नियंत्रण पा लेते थे। फिर सीएमडी प्रॉम्प्ट खोलकर सिस्टम हैक होने और बैंक तथा क्रेडिट कार्ड की जानकारी लीक होने की झूठी बातें कहकर डराते थे।
इस डर से घबराए विदेशी नागरिक इनकी बातों में आकर फर्जी तकनीकी सहायता के लिए पैसे भेज देते थे, जो ऐप या क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से वसूले जाते थे। पुलिस ने इस ठगी में शामिल 18 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के निवासी शामिल हैं। इनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। प्रमुख आरोपियों में ध्रुव अरोड़ा (दिल्ली), आकाश तिवारी (फरीदाबाद), तरुण (राजस्थान), मयूर नायक (राजस्थान), गुरविंदर सिंह (लखीमपुर खीरी), सौरभ चंद्रा (दिल्ली), प्रत्युमन शर्मा (हरियाणा), गौरव जसरोटिया (हिमाचल प्रदेश), कुनाल राजवंशी (देहरादून), दिव्यांश, अपूर्व, मोहम्मद फेजुल, अस्मीत सिंह, हरमनप्रीत, रितु राजपूत और सुकृति शामिल हैं।
नोएडा पुलिस ने बताया कि इस प्रकार की ठगी के पीछे एक संगठित गिरोह काम कर रहा था, जिसका नेटवर्क देश के अलग-अलग हिस्सों में फैला हुआ है। ये साइबर अपराधी तकनीकी दक्षता और मनोवैज्ञानिक तरकीबों का इस्तेमाल कर विदेशी नागरिकों से बड़ी रकम ठग रहे थे।