क्या नोएडा के कई इलाके जलमग्न हो गए हैं? 8 राहत शिविरों में 3 हजार से ज्यादा बाढ़ पीड़ितों को मिल रही सुविधा

सारांश
Key Takeaways
- नोएडा में बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में राहत शिविर स्थापित किए गए हैं।
- तीन हजार से ज्यादा लोग राहत शिविरों में ठहरे हुए हैं।
- बाढ़ पीड़ितों को चिकित्सा और भोजन जैसी सुविधाएं मिल रही हैं।
- सामाजिक संगठनों ने सामुदायिक किचन शुरू किए हैं।
- यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है।
नोएडा, 5 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। यमुना और हिंडन नदियों के उफान के कारण नोएडा और ग्रेटर नोएडा के निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस संकट में प्रशासन और सामाजिक संगठनों के सहयोग से विस्थापित परिवारों को राहत कैंपों में पनाह दी जा रही है।
इस समय आठ राहत शिविरों में तीन हजार से अधिक लोग ठहरे हैं। यहां पीड़ितों के लिए तीन टाइम का भोजन, मेडिकल सुविधा, मोबाइल टॉयलेट और पानी के टैंकर उपलब्ध कराए गए हैं। सेक्टर-135 बारातघर में 800 से ज्यादा लोग हैं। पैरामेडिकल स्टाफ ने बताया कि जब ये लोग यहां आए तो कई लोग आंखों में संक्रमण, बुखार और डायरिया जैसी बीमारियों से ग्रस्त थे। लगातार इलाज और दवा से अब उनकी स्थिति में सुधार आया है। सभी कैंपों में सुबह, दोपहर और रात के भोजन की व्यवस्था की गई है।
इसके अलावा, सेक्टर-135 पुश्ते से लेकर अन्य क्षेत्रों तक सामाजिक संगठनों ने सामुदायिक किचन भी स्थापित किए हैं। 16 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में करीब 20 जगहों पर रोजाना हजारों लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। नगली वाजिदपुर गांव में स्थानीय लोग रोजाना 500 लोगों का भोजन बना रहे हैं। कैंपों में रोजाना तीन से चार पानी के टैंकर भेजे जा रहे हैं और मोबाइल टॉयलेट भी लगाए गए हैं। हालाँकि, सेक्टर-94 से लेकर सेक्टर-126 तक झुग्गीवासियों को अभी भी पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं।
इसके साथ ही, पशुओं के लिए भी अस्थायी टेंट बनाकर 800 से ज्यादा गायों को सुरक्षित रखा गया है। नोएडा प्राधिकरण ने बख्तावरपुर, छपरौली, कोंडली, नंगली वाजिदपुर, नंगला नगली और झट्टा गांव के बारातघरों में राहत शिविर बनाए हैं। बाढ़ नियंत्रण कक्ष (0120-2978231/32/33) 24 घंटे सक्रिय है।
वहीं, एनडीआरएफ की दो टीमें, पीएसओ 44 बटालियन और फायर विभाग की टीमें भी राहत कार्य में जुटी हैं। यमुना का जलस्तर 207.33 मीटर तक पहुंच गया है, जो खतरे के निशान से ऊपर है। शाहदरा बैराज के बंद होने से ड्रेन का जलस्तर भी बढ़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि अगले 72 घंटों में तेज बारिश होती है तो नोएडा के कई सेक्टरों में जलभराव की स्थिति और गंभीर हो सकती है।