क्या फर्जी कॉल सेंटर के जरिए ऑनलाइन गेमिंग-बैटिंग ऐप ठगी का भंडाफोड़ हुआ?

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क्या फर्जी कॉल सेंटर के जरिए ऑनलाइन गेमिंग-बैटिंग ऐप ठगी का भंडाफोड़ हुआ?

सारांश

नोएडा पुलिस ने फर्जी कॉल सेंटर के जरिए ऑनलाइन गेमिंग और बैटिंग ऐप से हो रही ठगी का पर्दाफाश किया है। दो आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं, जो लोगों को तेजी से पैसा कमाने का झांसा देकर लाखों की धोखाधड़ी कर रहे थे। जानिए इस मामले की पूरी कहानी और सतर्क रहने के उपाय।

Key Takeaways

  • साइबर ठगी से सावधान रहें।
  • संदिग्ध कॉल और लिंक की जानकारी पुलिस को दें।
  • फर्जी कॉल सेंटर की पहचान करें।
  • धोखाधड़ी से बचने के लिए जागरूक रहें।
  • ऑनलाइन गेमिंग और बैटिंग को लेकर सतर्क रहें।

नोएडा, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। नोएडा पुलिस की साइबर क्राइम शाखा और थाना फेस-1 की संयुक्त टीम ने ऑनलाइन गेमिंग और बैटिंग ऐप के नाम पर बड़े पैमाने पर हो रही साइबर ठगी का भंडाफोड़ करते हुए दो शातिर साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह फर्जी कॉल सेंटर संचालित कर लोगों को तेजी से पैसा कमाने का झांसा देता था और फिर उनसे लाखों रुपए की धोखाधड़ी करता था।

पकड़े गए दोनों आरोपी सचिन गोस्वामी और कुणाल गोस्वामी नोएडा सेक्टर-2 स्थित बी-ब्लॉक की एक इमारत के टॉप फ्लोर से संचालित हो रहे कॉल सेंटर से गिरफ्तार किए गए। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से फर्जीवाड़े में इस्तेमाल 7 लैपटॉप और 8 मोबाइल फोन बरामद किए हैं।

प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि दोनों आरोपियों ने अपना कॉल सेंटर पूरी तरह अवैध तरीके से संचालित कर रखा था। इनके पास न तो किसी प्रकार का लाइसेंस था और न ही गेमिंग/बैटिंग प्लेटफॉर्म से संबंधित कोई वैध दस्तावेज। दोनों आरोपी फर्जी आईडी पर सिम कार्ड लेकर फोन कॉल्स करते थे और आम नागरिकों को अपने जाल में फांसते थे।

भारत में ऑनलाइन बेटिंग और गेमिंग एप्स प्रतिबंधित हैं, लेकिन इसके बावजूद यह गिरोह विभिन्न वेबसाइटों पर विज्ञापन डालकर लोगों को ऐसे लिंक पर क्लिक करने के लिए प्रेरित करता था। इसके बाद वे कॉल कर लोगों को 'गेमिंग/बैटिंग से बड़ी कमाई' का लालच देते थे। गिरोह पीड़ितों को गेमिंग एप का नकली लिंक भेजकर उस पर आईडी और पासवर्ड बनाने के नाम पर पैसे लेता था। शुरुआत में छोटी रकम जीताकर विश्वास जमाया जाता और फिर धीरे-धीरे बड़ी रकम हड़प ली जाती। ठगी की रकम अलग-अलग मनी म्यूल खातों में ट्रांसफर कराई जाती थी, ताकि पुलिस तक इनका सीधा सुराग न पहुंचे।

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान सचिन गोस्वामी, उम्र 33 वर्ष, एमबीए (फाइनेंस), मूल निवासी मुजफ्फरनगर और कुणाल गोस्वामी, उम्र 22 वर्ष, बीबीए, मूल निवासी गाजियाबाद के रूप में हुई है। दोनों फिलहाल दिल्ली में रह रहे थे और लंबे समय से इस साइबर धोखाधड़ी में सक्रिय थे। इनके खिलाफ थाना साइबर क्राइम, गौतमबुद्धनगर में आईटी एक्ट और दूरसंचार अधिनियम 2023 की संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

नोएडा पुलिस ने लोगों से अपील की है कि ऑनलाइन कमाई के झांसे से दूर रहें और किसी भी संदिग्ध कॉल, लिंक या ऐप की जानकारी तुरंत पुलिस को दें।

Point of View

जो जनता को ठगने में लगे हैं। हमें एकजुट होकर ऐसे अपराधों का सामना करना होगा।
NationPress
09/12/2025

Frequently Asked Questions

फर्जी कॉल सेंटर क्या है?
फर्जी कॉल सेंटर वह स्थान है जहां अपराधी लोगों को धोखा देने के लिए फोन कॉल करते हैं। ये आमतौर पर अवैध गतिविधियों में संलिप्त होते हैं।
ऑनलाइन गेमिंग और बैटिंग ऐप क्यों प्रतिबंधित हैं?
भारत में ऑनलाइन गेमिंग और बैटिंग ऐप को कानूनी रूप से प्रतिबंधित किया गया है ताकि लोगों को धोखाधड़ी और वित्तीय नुकसान से बचाया जा सके।
मैं ऐसे ठगी से कैसे बच सकता हूं?
संदिग्ध कॉल, लिंक, या ऐप से दूर रहें और किसी भी शंका की स्थिति में तुरंत पुलिस से संपर्क करें।
गिरफ्तार आरोपियों का क्या हुआ?
आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
क्या हमें ऑनलाइन कमाई पर भरोसा करना चाहिए?
ऑनलाइन कमाई के सभी प्रस्तावों पर सावधानी बरतें और सुनिश्चित करें कि वे वैध हैं।
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