क्या पाकिस्तान में बलूचों के हक के लिए उठ रही आवाजों को दबाया जा रहा है?

सारांश
Key Takeaways
- बलूचों के अधिकारों के लिए उठ रही आवाज़ें दबाई जा रही हैं।
- पुलिस गिरफ्तारियों का आधार धारा 144 का उल्लंघन है।
- 2 सितंबर को हुए विस्फोट ने बलूच समुदाय को और अधिक प्रभावित किया है।
- मानवाधिकार संगठनों ने बलूचों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों की निंदा की है।
- पाकिस्तान में बलूचों के मुद्दे को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।
क्वेटा, 8 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बलूचों के खिलाफ हो रहे अत्याचार और 2 सितंबर को एक राजनीतिक जलसे में हुए विस्फोट के विरोध में सड़क पर उतरे 100 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को पाकिस्तान की क्वेटा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
इन पर धारा 144 का उल्लंघन करने, दुकानें और राजमार्ग बंद करने का आरोप लगाया गया है।
पाकिस्तान के प्रमुख दैनिक डॉन से बातचीत में पुलिस अधिकारी ने बताया कि सभाओं पर प्रतिबंध का उल्लंघन करने, कथित तौर पर बाजारों को जबरन बंद कराने, और राजमार्गों को अवरुद्ध करने के आरोप में 100 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है।
क्वेटा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) मुहम्मद बलूच ने डॉन डॉट कॉम को बताया, "धारा 144 का उल्लंघन करने, बाजारों को जबरन बंद कराने और राजमार्गों को अवरुद्ध करने के आरोप में 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है।"
ये गिरफ्तारियां ऐसे समय में हुई हैं जब छह विपक्षी राजनीतिक दलों ने 2 सितंबर को बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेंगल (बीएनपी-एम) की एक जनसभा को निशाना बनाकर किए गए आत्मघाती बम विस्फोट के विरोध में सोमवार (8 सितंबर) को बलूचिस्तान में पूर्ण चक्का जाम और बंद हड़ताल का ऐलान किया था।
क्वेटा के शाहवानी स्टेडियम में आयोजित एक रैली में हुए विस्फोट में 15 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 38 घायल हो गए थे। यह विस्फोट बलूचिस्तान के पूर्व मुख्यमंत्री सरदार अताउल्लाह मेंगल, एक वरिष्ठ राष्ट्रवादी नेता और बीएनपी संस्थापक की चौथी पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित किया गया था।
पाकिस्तान में बलूचों के साथ ज्यादती का मुद्दा सुर्खियों में है। बलूच नेता सरकार पर मानवाधिकार हनन का आरोप लगाते रहे हैं। एक प्रमुख मानवाधिकार संगठन के अनुसार, पाकिस्तानी सेना समर्थित मौत दस्तों ने तीन बलूच नागरिकों की न्यायेतर हत्या कर दी।
बलूच नेशनल मूवमेंट के मानवाधिकार विभाग, 'पांक' ने सोमवार को ही न्यायेतर हत्याओं की निंदा करते हुए बताया कि मुल्ला बहराम बलूच और इजहार मुजीब की शनिवार सुबह बलूचिस्तान के मांड इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई, जबकि जलाल बलूच की उसी शाम गोमाजी क्षेत्र में गोली मारकर हत्या कर दी गई।
संस्था ने कहा, "ऐसे कृत्य जबरन गायब करने, मनमाने ढंग से हत्या करने और व्यवस्थित दमन के एक व्यापक अभियान का हिस्सा हैं, जो मानवता के विरुद्ध हैं।"