क्या खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तान की पकड़ ढीली हो रही है?

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क्या खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तान की पकड़ ढीली हो रही है?

सारांश

खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तान की सेना की स्थिति बिगड़ती जा रही है। टीटीपी का बढ़ता प्रभाव और स्थानीय समर्थन के चलते पाक आर्मी को कई मोर्चों पर संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है। जानें इस जटिल स्थिति के पीछे के कारण और इसके संभावित परिणाम।

Key Takeaways

  • टीटीपी का बढ़ता प्रभाव पाकिस्तान की सेना की स्थिति को कमजोर कर रहा है।
  • पाकिस्तानी सैनिक ग्रामीण इलाकों में तैनाती से इनकार कर रहे हैं।
  • स्थानीय समर्थन ने पाक आर्मी के लिए स्थिति को और कठिन बना दिया है।

नई दिल्ली, २५ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। खैबर पख्तूनख्वा (के-पी) में पाकिस्तानी सेना की पकड़ कमजोर होती दिखाई दे रही है। हाल के दिनों में पाक आर्मी को कई मोर्चों पर संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है।

अफगानिस्तान के साथ सीमा पर हुए संघर्ष के बाद दोनों पक्षों ने युद्धविराम के लिए सहमति जताई है। राहत के इस क्षण में पाक सेना पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में संघर्ष में उलझी हुई है।

आतंकवादसंघर्ष करने को मजबूर है। खैबर पख्तूनख्वा में, तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) का पूर्ण नियंत्रण होता नजर आ रहा है।

टीटीपी की गतिविधियों का अवलोकन करने पर यह साफ होता है कि ये २०२१ में अपनाई गई नीतियों को फिर से दोहरा रहा है। २०२१ में तालिबान ने इसी तरह से धीरे-धीरे अफगानिस्तान पर कब्जा किया था।

अफगानिस्तान पर नियंत्रण पाने के लिए टीटीपी ने पहले ग्रामीण इलाकों में घुसपैठ की और फिर शहरी क्षेत्रों में भी प्रवेश किया। यह २०२१ से पहले अफगान तालिबान की गतिविधियों की एक प्रमुख विशेषता रही है।

एक अधिकारी ने बताया कि टीटीपी के बढ़ते प्रभाव के कारण स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि कई सैनिक, विशेष रूप से पंजाबी मूल के, इस क्षेत्र में तैनाती से इनकार कर रहे हैं। कुछ ग्रामीण और कबायली इलाके, जहां टीटीपी का पूर्ण नियंत्रण है, उनमें उत्तरी और दक्षिणी वजीरिस्तान, बाजौर और खैबर कुर्रम के आस-पास के क्षेत्र शामिल हैं।

पाकिस्तानी सैनिक खासकर ग्रामीण इलाकों में ड्यूटी करने से इनकार कर रहे हैं। वास्तव में, इन क्षेत्रों में टीटीपी की पकड़ मजबूत है। इसके अलावा, टीटीपी को स्थानीय समर्थन मिल रहा है, जिससे पाकिस्तानी सेना के लिए स्थिति और भी कठिन हो गई है।

कई सैनिकों ने इन क्षेत्रों में लड़ाई करने से मना कर दिया है। एक समझौते के तहत, यह तय किया गया है कि सैनिक टीटीपी कार्यकर्ताओं को समाप्त करने के लिए अभियान चलाने के बजाय रक्षात्मक स्थिति में रहेंगे।

ग्रामीण क्षेत्रों में टीटीपी का प्रभुत्व है, जबकि पाकिस्तानी सेना शहरी क्षेत्रों में घुसपैठ को लेकर चिंतित है। बारा रोड कॉरिडोर और बड़ाबेर व मट्टानी जैसे शहरी क्षेत्रों में घुसपैठ ने पाकिस्तान को चिंतित कर दिया है। टीटीपी के इन क्षेत्रों में घुसपैठ से पहले, ये फ्रंटियर कोर और पुलिस के नियंत्रण में थे। अब इन क्षेत्रों का इस्तेमाल टीटीपी के अभियानों के लिए धन जुटाने के लिए किया जा रहा है।

इन इलाकों से आतंकवादियों के साथ-साथ हथियार और गोला-बारूद भी ले जाया जा रहा है। हाल ही में, सड़कों पर नाचते और खुलेआम चंदा इकट्ठा करते टीटीपी कार्यकर्ताओं के वीडियो सामने आए हैं। इससे स्पष्ट है कि इन इलाकों में टीटीपी ने किस कदर अपना दबदबा कायम कर रखा है। वीडियो में टीटीपी लड़ाके वाहनों और दस्तावेजों की जांच करते भी दिखाई दे रहे हैं।

पाकिस्तानी सेना के लिए टीटीपी पर नियंत्रण पाना कठिन होता जा रहा है। टीटीपी के पास खूंखार लड़ाकों का एक समूह है, जिन्हें हराना पाकिस्तानी सेना के लिए मुश्किल है।

पाकिस्तान के ज्यादातर हिस्सों में सेना के खिलाफ कड़ा विरोध दिखाई दे रहा है। स्थानीय लोग सेना की बजाय टीटीपी का समर्थन कर रहे हैं। यही स्थिति बलूचिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में भी देखने को मिल रही है।

सेना बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के साथ भीषण संघर्ष में है और हाल के वर्षों में उसे भारी नुकसान उठाना पड़ा है।

तालिबान के साथ भी रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं, और इसने भी सेना की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। वहीं भारतीय सीमा पर हमारी कमर कसकर तैयार है। इतने सारे मोर्चों पर खुद को व्यस्त रखने के कारण सेना के पास कोई विकल्प नहीं बचता और इसके परिणामस्वरूप उसे नुकसान भी उठाना पड़ता है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि खैबर पख्तूनख्वा में स्थिति गंभीर है। हमें अपने देश की सुरक्षा और स्थिरता को प्राथमिकता देनी चाहिए। स्थानीय लोगों के समर्थन को समझना और इस मुद्दे को सुलझाने के लिए ठोस कदम उठाना आवश्यक है।
NationPress
25/10/2025

Frequently Asked Questions

टीटीपी का बढ़ता प्रभाव पाकिस्तान पर कैसे असर डाल रहा है?
टीटीपी का बढ़ता प्रभाव पाकिस्तान की सेना की स्थिति को कमजोर कर रहा है, जिससे सैनिकों में आत्मविश्वास की कमी आ रही है।
पाकिस्तानी सेना को किन इलाकों में संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है?
पाकिस्तानी सेना को मुख्यतः खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है।
क्या स्थानीय लोग टीटीपी का समर्थन कर रहे हैं?
हाँ, कई स्थानीय लोग सेना की बजाय टीटीपी का समर्थन कर रहे हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है।