क्या पश्चिम बंगाल में एसआईआर विवाद गंभीर है? मुख्य निर्वाचन अधिकारी का कड़ा बयान

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क्या पश्चिम बंगाल में एसआईआर विवाद गंभीर है? मुख्य निर्वाचन अधिकारी का कड़ा बयान

सारांश

पश्चिम बंगाल में एसआईआर विवाद ने चुनावी माहौल को गर्म कर दिया है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने शिकायतों को साजिश बताया, जबकि दो बुजुर्ग मतदाताओं की मौत ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। जानें इस मामले की गहराई।

Key Takeaways

  • मतदाता सूची का पुनरीक्षण चुनावी प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • मुख्य निर्वाचन अधिकारी का बयान साजिश के खिलाफ दृढ़ता को दर्शाता है।
  • बुजुर्ग मतदाताओं की मौत ने मानसिक दबाव के मुद्दे को उजागर किया है।
  • चुनाव मशीनरी की पारदर्शिता बनाए रखना आवश्यक है।
  • कानून का राज कायम रखना लोकतंत्र की नींव है।

कोलकाता, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल में 2026 विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर तनाव की स्थिति बढ़ गई है। इस बीच, राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) ने दो पुलिस शिकायतों पर कड़ा ऐतराज जताया है।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में बताया कि विभिन्न प्रेस विज्ञप्तियों से इस कार्यालय को जानकारी मिली है कि भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार और पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज अग्रवाल के खिलाफ पुलिस में दो शिकायतें दर्ज की गई हैं। इन शिकायतों में लगाए गए आरोपों को पूर्व से सोची-समझी साजिश, बिना किसी ठोस सबूत के और एसआईआर के कानूनी कर्तव्यों का पालन कर रहे अधिकारियों को डराने-धमकाने की घटिया कोशिश करार दिया गया है।

आधिकारिक बयान में कहा गया है कि चुनाव मशीनरी को डराकर झुकाने और पूरी प्रक्रिया को पटरी से उतारने के लिए बनाई गई ऐसी धमकी भरी चालें निश्चित रूप से नाकाम रहेंगी। इन लगातार और मनगढ़ंत शिकायतों के पीछे की साजिश का पता लगाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। कानून का राज कायम रहेगा और सच्चाई की जीत होगी। राज्य की चुनाव मशीनरी जनहित में पूरी हिम्मत और ईमानदारी के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

यह बयान ऐसे समय आया है जब हाल ही में एसआईआर प्रक्रिया के दौरान दो बुजुर्ग मतदाताओं की मौत की खबरें सामने आईं। एक 82 वर्षीय पुरुलिया निवासी दुर्जन माझी और दूसरे पूर्व मिदनापुर के 75 वर्षीय व्यक्ति की मौत के बाद उनके परिजनों ने आरोप लगाया कि एसआईआर सुनवाई नोटिस मिलने से मानसिक दबाव के कारण उन्होंने कथित तौर पर आत्महत्या की। परिजनों ने सीईसी और सीईओ को मानसिक उत्पीड़न और आत्महत्या के लिए उकसाने का जिम्मेदार ठहराते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

एसआईआर प्रक्रिया नवंबर 2025 से शुरू हुई, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध करना, मृतकों, डुप्लिकेट और स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाना और नए योग्य मतदाताओं को जोड़ना है। दिसंबर 2025 में जारी ड्राफ्ट रोल में 58 लाख से अधिक नाम हटाए गए।

Point of View

ताकि चुनावी प्रक्रिया में विश्वास बना रहे।
NationPress
31/12/2025

Frequently Asked Questions

एसआईआर क्या है?
एसआईआर का अर्थ है मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध करना है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने क्या कहा?
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने शिकायतों को साजिश बताया और चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिशों को नाकाम करने का आश्वासन दिया।
क्या शिकायतें गंभीर हैं?
जी हां, शिकायतें गंभीर मानी जा रही हैं, क्योंकि इसमें मानसिक उत्पीड़न और आत्महत्या की घटनाएं शामिल हैं।
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