क्या पटना में रक्षाबंधन के अवसर पर अंतर्ज्योति बालिका विद्यालय में नेत्रहीन बच्चियों ने राखी बांधी?

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क्या पटना में रक्षाबंधन के अवसर पर अंतर्ज्योति बालिका विद्यालय में नेत्रहीन बच्चियों ने राखी बांधी?

सारांश

रक्षाबंधन का त्योहार पटना में नेत्रहीन बच्चियों द्वारा मनाया गया, जिसमें सशक्तिकरण का संदेश दिया गया। इस कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि ने बच्चियों को सहायता का आश्वासन दिया। जानें इस विशेष अवसर की पूरी कहानी!

Key Takeaways

  • रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहनों के प्रेम का प्रतीक है।
  • नेत्रहीन बच्चियों का सशक्तिकरण महत्वपूर्ण है।
  • ज्योतिपुंज फाउंडेशन ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया।
  • सांस्कृतिक कार्यक्रम ने समारोह को और रंगीन बनाया।
  • समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए ऐसे आयोजन आवश्यक हैं।

पटना, 9 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में नेत्रहीन परिषद द्वारा संचालित कुम्हरार स्थित अंतर्ज्योति बालिका विद्यालय के सभागार में आज ज्योतिपुंज फाउंडेशन की ओर से भाई-बहनों के अद्वितीय प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया गया।

नेत्रहीन बालिकाओं ने मुख्य अतिथि ज्योतिपुंज फाउंडेशन के संरक्षक लोजपा (रामविलास) के नेता डॉ. अभिषेक सिंह की कलाई पर राखियां बांधी। अभिषेक सिंह ने नेत्रहीन बहनों और बालिकाओं के सशक्तिकरण का संकल्प लिया। ज्योतिपुंज फाउंडेशन की ओर से रक्षाबंधन के अवसर पर उपस्थित लगभग 75 बच्चियों को वस्त्र और मिठाइयां भेंट की गईं।

लोजपा (रामविलास) के नेता डॉ. अभिषेक सिंह ने इस अवसर पर कहा कि राखी का पर्व सामान्यतः लोग अपने घर-परिवार में मनाते हैं, पर इस बार ज्योतिपुंज फाउंडेशन का यह निर्णय लिया गया कि नेत्रहीन बहन-बेटियों के साथ यह त्योहार मनाया जाए, जो अपने घर से दूर रहकर यहां पढ़ाई और निवास करती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी बच्चियों का सशक्तीकरण कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास होना चाहिए, ताकि दैनिक जीवन को सरल बनाने में हम सब सहायक बन सकें। आज इन बच्चियों के चेहरे पर खुशी देखकर मन को सुकून मिल रहा है।

उन्होंने बच्चियों को आश्वासन दिया कि वे अपनी बहनों को सशक्त बनाने में हर संभव मदद के लिए तत्पर हैं। इसके पूर्व विद्यालय की प्राचार्या राज श्रीदयाल ने समाजसेवी अभिषेक सिंह के सहयोग के प्रति आभार प्रकट किया। नेत्रहीन बालिकाओं ने अतिथियों का स्वागत "मन की वीणा से गुंजित ध्वनिमंगलम स्वागतम" से किया। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया, जिसमें बच्चियों ने अपनी कला से अतिथियों का मन मोह लिया।

रक्षाबंधन उत्सव के अवसर पर कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं और कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। नेत्रहीन बच्चियों ने भी उत्साह के साथ इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया और कहा कि ऐसे कार्यक्रम हमें और सशक्त बनाते हैं।

Point of View

बल्कि यह हमारे समाज में सशक्तिकरण का एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करती है। नेत्रहीन बच्चियों का यह अनुभव हमें यह याद दिलाता है कि हर व्यक्ति को समान अवसर मिलना चाहिए। ऐसे कार्यक्रम समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।
NationPress
09/08/2025

Frequently Asked Questions

रक्षाबंधन का त्योहार कब मनाया जाता है?
रक्षाबंधन का त्योहार हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
क्या नेत्रहीन बच्चियों को इस कार्यक्रम का लाभ मिला?
हां, इस कार्यक्रम में नेत्रहीन बच्चियों को राखी बांधने, वस्त्र और मिठाई प्राप्त करने का अवसर मिला।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य क्या था?
इस कार्यक्रम का उद्देश्य नेत्रहीन बच्चियों के सशक्तिकरण और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना था।
कौन से संस्थान ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया?
इस कार्यक्रम का आयोजन ज्योतिपुंज फाउंडेशन ने किया।
क्या इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था?
जी हां, इस कार्यक्रम में बच्चियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।