क्या पटना जिला प्रशासन ने तेजस्वी यादव को फिर भेजा पत्र- 'फर्जी दस्तावेज बनाना एवं उपयोग करना अपराध'?

सारांश
Key Takeaways
- फर्जी दस्तावेज बनाना कानूनी अपराध है।
- तेजस्वी यादव का नाम मतदान सूची में सही नहीं पाया गया।
- पटना जिला प्रशासन की ओर से सख्त कार्रवाई की जा रही है।
- नागरिकों को अपने दस्तावेजों की सत्यता की जांच करनी चाहिए।
- निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी के कार्यालय में दस्तावेज जमा करना आवश्यक है।
पटना, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव दो वोटर कार्ड के मामले में उलझते नजर आ रहे हैं। इस संदर्भ में पटना जिला प्रशासन ने तेजस्वी यादव को एक बार फिर पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि फर्जी सरकारी दस्तावेज बनाना एवं उपयोग करना कानूनी अपराध है।
पटना जिला प्रशासन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पत्र साझा करते हुए कहा कि तेजस्वी यादव ने 2 अगस्त को एक प्रेस वार्ता में मीडिया को बताया था कि उनका ईपिक नंबर आरएबी2916120 है। लेकिन जब भारत निर्वाचन आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर सर्च किया गया, तो विशेष गहन पुनरीक्षण 2025 के बाद प्रकाशित प्रारूप निर्वाचक सूची में उनका नाम नहीं मिला और उनका नाम विलोपित कर दिया गया है।
जांच में यह खुलासा हुआ है कि तेजस्वी यादव का नाम मतदान केंद्र संख्या-204, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पुस्तकालय भवन के क्रमांक-416 पर ईपिक संख्या- आरएबी0456228 से अंकित है। 128-राघोपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र द्वारा वर्ष 2015 एवं 2020 के नामांकन पत्र में आपके द्वारा ईपिक संख्या आरएबी0456228 का उल्लेख किया गया था।
जिला प्रशासन ने कहा कि कई वर्षों की मतदाता सूचियों के डाटाबेस से मिलान करने पर यह सामने आया कि 2 अगस्त को आयोजित प्रेस वार्ता में प्रदर्शित ईपिक कार्ड संख्या आरएबी2916120 भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी नहीं किया गया। आपके द्वारा प्रदर्शित ईपिक कार्ड संख्या- आरएबी2916120 फर्जी है। फर्जी सरकारी दस्तावेज बनाना एवं उपयोग करना कानूनी अपराध है। आपसे फिर से अनुरोध किया जाता है कि आपका फर्जी प्रतीत होता ईपिक कार्ड निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी के कार्यालय में 16 अगस्त की शाम 5 बजे तक जमा कराएं।