क्या पीयूष गोयल ने लोकसभा में जन विश्वास संशोधन विधेयक 2025 पेश किया?

सारांश
Key Takeaways
- विश्वास-आधारित शासन को मजबूत करने का उद्देश्य।
- 288 प्रावधानों को गैर-आपराधिक बनाया गया।
- हल्के उल्लंघनों पर सजा नहीं, केवल चेतावनी।
- जुर्माने में स्वचालित वृद्धि का प्रस्ताव।
- 10 अधिनियमों के तहत सुधार।
नई दिल्ली, 19 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में जन विश्वास (संशोधन) विधेयक, 2025 को पेश किया। उन्होंने इस विधेयक को चयन समिति को भेजने की सिफारिश की।
इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य देश में विश्वास-आधारित शासन को सुदृढ़ करना है। इसके माध्यम से आम नागरिकों के जीवन को सरल बनाना और व्यापार को सुगम बनाना एक महत्वपूर्ण सुधार होगा। यह विधेयक जन विश्वास अधिनियम 2023 का अगला चरण है।
2023 में लागू कानून ने 42 केंद्रीय कानूनों में से 183 प्रावधानों को आपराधिक श्रेणी से हटा दिया था। अब 2025 का यह नया विधेयक सुधार के दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। इसमें 288 प्रावधानों को गैर-आपराधिक बनाने का प्रस्ताव है, जो 10 मंत्रालयों या विभागों के तहत 16 केंद्रीय कानूनों से संबंधित हैं।
67 संशोधन विशेष रूप से एनडीएमसी अधिनियम और मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत जीवन की सुविधाओं को बढ़ाने पर केंद्रित हैं। कुल 355 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव है, जिससे जीवन और व्यापार दोनों आसान होंगे।
10 अधिनियमों के तहत हल्के उल्लंघनों पर केवल चेतावनी या सलाह दी जाएगी, कोई सजा नहीं दी जाएगी।
तकनीकी, प्रक्रियागत या मामूली गलतियों पर अब जेल की सजा की बजाय केवल जुर्माना या चेतावनी दी जाएगी। जुर्माने को तार्किक और संतुलित बनाया गया है और बार-बार उल्लंघन पर जुर्माना धीरे-धीरे बढ़ेगा।
निर्धारित अधिकारी को प्रशासनिक रूप से जुर्माना लगाने का अधिकार दिया गया है, जिससे न्यायपालिका पर बोझ कम होगा।
हर 3 वर्षों में जुर्माने या दंड में 10 प्रतिशत की स्वचालित वृद्धि का प्रस्ताव है ताकि कानून का डर बना रहे।
4 महत्वपूर्ण कानूनों के तहत और अधिक अपराधों को गैर-आपराधिक बनाया गया है, जिसमें चाय अधिनियम, लीगल मेट्रोलॉजी अधिनियम, मोटर वाहन अधिनियम और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स अधिनियम शामिल हैं।