क्या पीएम धन-धान्य कृषि योजना किसानों के लिए सतरंगी गुलदस्ता है?

सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का उद्घाटन हुआ।
- इस योजना में 42,000 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है।
- किसानों को 1.7 करोड़ लाभार्थियों के रूप में शामिल किया गया है।
- नई तकनीकों और मुनाफेदार फसलों का उपयोग किया जाएगा।
- दलहन आत्मनिर्भरता योजना का लक्ष्य 40 प्रतिशत अधिक उत्पादन है।
भागलपुर, 11 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नई दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) पूसा में 42,000 करोड़ रुपए की 'प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना' और 'दलहन आत्मनिर्भरता अभियान' का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री मोदी ने 1,100 से अधिक कृषि, पशुपालन, मत्स्यपालन और खाद्य प्रसंस्करण परियोजनाओं का भी उद्घाटन व शिलान्यास किया। बिहार के भागलपुर में बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर के डायरेक्टर रिसर्च डॉ. अनिल कुमार सिंह ने इसे किसानों के लिए 'सतरंगी गुलदस्ता' कहा।
डॉ. अनिल कुमार सिंह ने राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए योजना की सराहना की और बताया कि यह योजना 2047 तक विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार करेगी। उन्होंने कहा, "पीएम साहब की किसान हितैषी सोच खाद्यान्न और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। देश में 250 मिलियन टन दलहन का उत्पादन हो रहा है, लेकिन प्रति व्यक्ति खपत 19 किलो प्रति वर्ष है। इसके बावजूद 4 मिलियन टन दलहन आयात करना पड़ता है, जिस पर 5-6 अरब डॉलर खर्च होते हैं।"
उन्होंने बताया कि 11,440 करोड़ रुपए की दलहन आत्मनिर्भरता योजना से 2030-31 तक 40 प्रतिशत अधिक उत्पादन का लक्ष्य है। इसके लिए देश के 100 कम उत्पादकता वाले जिलों का चयन किया गया है, जिसमें बिहार के कई जिले शामिल हैं।
बिहार में दलहन और तेलहन की नई किस्में विकसित की गई हैं, जो उपज बढ़ाने में सहायता करेंगी। डॉ. सिंह ने कहा, "पीएम, कृषि मंत्री और सीएम की सोच के अनुरूप कृषि वैज्ञानिक और किसान मिलकर 5-6 अरब डॉलर की बचत करेंगे। नई तकनीक और मुनाफेदार फसलों जैसे दलहन पर जोर देने से आय दोगुनी होगी।"
'प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना' के तहत 24,000 करोड़ रुपए से सिंचाई, भंडारण, फसल विविधीकरण और ऋण सुविधाएं बढ़ेंगी, जिससे 1.7 करोड़ किसानों को लाभ होगा। भागलपुर, जो गंगा-कोसी बेसिन में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है, में यह योजना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। जिले के 1.5 लाख से अधिक किसान दलहन उत्पादन में सक्रिय हैं। बीएयू सबौर ने नई किस्मों जैसे अरहर, मसूर और चने की प्रजातियां विकसित की हैं, जो जलवायु अनुकूल हैं।
डॉ. सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से किसानों को नई तकनीकों से जोड़ेगा।