क्या 'मेड इन इंडिया' चिप्स इस साल बाजार में आएंगी? पीएम मोदी की बड़ी घोषणा

सारांश
Key Takeaways
- सेमीकंडक्टर निर्माण की दिशा में भारत ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
- इस साल के अंत तक मेड इन इंडिया चिप्स बाजार में उपलब्ध होंगी।
- भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता के लिए नए प्रयास किए जा रहे हैं।
- आगामी वर्षों में क्लीन एनर्जी पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- प्रधानमंत्री की घोषणाएँ भारत के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण हैं।
नई दिल्ली, 15 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। पूरे देश में आजादी का पर्व उत्साह और गौरव के साथ मनाया जा रहा है। इस ख़ास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए स्वतंत्रता दिवस को 140 करोड़ संकल्पों का महापर्व बताया। उन्होंने अपने भाषण में तकनीकी प्रगति, ऊर्जा आत्मनिर्भरता और आने वाले वर्षों के लिए भारत के विजन पर विस्तार से चर्चा की।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब हम टेक्नोलॉजी के विभिन्न पहलुओं की बात करते हैं, तो मेरा ध्यान सेमीकंडक्टर की ओर आकर्षित करना चाहता हूं। 50-60 साल पहले भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण का विचार प्रारंभ हुआ था, फाइलें भी बनीं, लेकिन वह प्रक्रिया ठहर गई। इस दौरान कई देशों ने सेमीकंडक्टर में महारत हासिल कर वैश्विक ताकत बन गए। उन्होंने बताया कि अब भारत इस दिशा में मिशन मोड में आगे बढ़ रहा है। छह सेमीकंडक्टर यूनिट्स की नींव रखी जा चुकी है। इस साल के अंत तक 'मेड इन इंडिया' चिप्स, यानी भारत में निर्मित चिप्स, बाजार में आ जाएंगी।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए अभी भी कई देशों पर निर्भर रहना पड़ता है, जिसके लिए पेट्रोल, डीजल और गैस पर लाखों-करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। उन्होंने कहा कि यदि हम ऊर्जा में आत्मनिर्भर होते, तो यह धन हमारे युवाओं और गरीबी दूर करने में लगाया जा सकता था।
उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्षों में सौर ऊर्जा उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, नए बांधों के जरिए हाइड्रो पावर का विस्तार हो रहा है और मिशन ग्रीन हाइड्रोजन के तहत हजारों करोड़ रुपए का निवेश हो रहा है। इसके साथ ही, 10 नए परमाणु रिएक्टर कार्यरत हैं और 2047 तक परमाणु ऊर्जा क्षमता को 10 गुना से अधिक बढ़ाने का लक्ष्य है। इसके लिए प्राइवेट सेक्टर के लिए भी परमाणु ऊर्जा के द्वार खोल दिए गए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि हमने यह तय किया है कि हम 2030 तक क्लीन एनर्जी लाएंगे। हम अपने संकल्प को 50 प्रतिशत पूरा कर चुके हैं। बजट का एक बड़ा हिस्सा पेट्रोल, गैस लाने में खर्च होता है। यदि हम ऊर्जा में निर्भर न होते, तो वह धन देश के युवाओं और गरीबी दूर करने के लिए काम आता। अब हम आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बढ़ रहे हैं। हम अब समुद्र मंथन की ओर जा रहे हैं। हम समुद्र के भीतर तेल और गैस भंडार खोजने की दिशा में काम कर रहे हैं। भारत नया मिशन शुरू करने जा रहा है।