क्या आतंकवाद के विरुद्ध समर्थन के लिए पीएम मोदी ने साइप्रस में नया अध्याय लिखा?

सारांश
Key Takeaways
- भारत और साइप्रस के बीच आतंकवाद के खिलाफ मजबूत सहयोग।
- द्विपक्षीय संबंधों में नई दिशा देने का प्रयास।
- सुरक्षा और रक्षा सहयोग को मजबूती देने की योजना।
- क्रॉस-बॉर्डर टेररिज्म के खिलाफ सतत समर्थन।
- यूरोपीय संघ में साइप्रस एक विश्वसनीय साझेदार।
निकोसिया/नई दिल्ली, १६ जून (राष्ट्र प्रेस)। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने संयुक्त रूप से मीडिया से बातचीत की। पीएम मोदी ने क्रॉस-बॉर्डर टेररिज्म के खिलाफ भारत की लड़ाई में साइप्रस के समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। इसके साथ ही, दोनों नेताओं ने पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्षों के बारे में अपनी चिंता भी साझा की।
पीएम मोदी ने कहा, "मैं भव्य स्वागत और आतिथ्य सत्कार के लिए राष्ट्रपति का हृदय से धन्यवाद करता हूं। जब से मैंने साइप्रस की धरती पर कदम रखा है, तब से यहां के राष्ट्रपति और लोगों ने जो अपनापन और स्नेह दिखाया है, वह दिल को छू गया। हाल ही में मुझे साइप्रस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से अलंकृत किया गया। यह सम्मान केवल मेरा नहीं, बल्कि १४० करोड़ भारतीयों का सम्मान है। यह भारत और साइप्रस की मित्रता की मुहर है। इसके लिए मैं एक बार फिर हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।
उन्होंने कहा, "हम साइप्रस के साथ अपने संबंधों को अत्यधिक महत्व देते हैं। लोकतंत्र और रूल ऑफ लॉ जैसे मूल्यों में साझा विश्वास हमारी साझेदारी के मजबूत आधार हैं। भारत और साइप्रस की मित्रता न परिस्थितियों से बनी है और न सीमाओं से बंधी है। यह समय की कसौटी पर बार-बार परखी गई है और हर दौर में हमने सहयोग, सम्मान और समर्थन की भावनाओं को जीवंत रखा है। हम एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हैं।
पीएम मोदी ने आगे कहा, "दो दशक से अधिक समय के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की साइप्रस यात्रा हो रही है। यह आपसी संबंधों में एक नया अध्याय लिखने का स्वर्णिम अवसर है। आज राष्ट्रपति और मैंने द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं पर व्यापक चर्चा की। साइप्रस के 'विजन 2035' और 'विकसित भारत 2047' के कई पहलुओं में समानता है, इसलिए हम मिलकर भविष्य को आकार देंगे। अपनी साझेदारी को सामरिक दिशा देने के लिए हम अगले पांच वर्षों के लिए एक ठोस रोडमैप बनाएंगे। रक्षा और सुरक्षा सहयोग को मजबूती देने के लिए द्विपक्षीय 'डिफेंस को-ऑपरेशन प्रोग्राम' के तहत रक्षा उद्योग को प्राथमिकता दी जाएगी। साइबर और मैरीटाइम सिक्योरिटी पर अलग से संवाद शुरू किया जाएगा।
उन्होंने कहा, "क्रॉस-बॉर्डर टेररिज्म के खिलाफ भारत की लड़ाई में साइप्रस के लगातार समर्थन के लिए हम आभारी हैं। आतंकवाद, ड्रग्स और आर्म्स की तस्करी की रोकथाम के लिए, हमारी एजेंसी के बीच रियल टाइम सूचना आदान-प्रदान का मैकेनिज्म तैयार किया जाएगा। साइप्रस में योग और आयुर्वेद के प्रसार को देखकर हम उत्साहित हैं। भारतीय पर्यटकों के लिए भी साइप्रस एक पसंदीदा गंतव्य है। उनके लिए डायरेक्ट एयर कनेक्टिविटी बनाने पर जोर दिया जाएगा। हमने निश्चय किया है कि मोबिलिटी एग्रीमेंट को पूरा करने के लिए जल्द काम किया जाएगा। यूरोपीय संघ में साइप्रस हमारा विश्वसनीय साझेदार है।
उन्होंने कहा, "यूएन को समकालीन बनाने के लिए आवश्यक सुधारों के बारे में हमारे विचारों में समानता है। साइप्रस द्वारा सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करने के लिए हम आभारी हैं। पश्चिम एशिया और यूरोप में चल रहे संघर्षों के बारे में हम दोनों ने चिंता व्यक्त की है। इनका नकारात्मक प्रभाव केवल उन क्षेत्रों तक सीमित नहीं है। हम दोनों मानते हैं कि यह युद्ध का युग नहीं है, संवाद से समाधान और स्थिरता की बहाली, ये मानवता की पुकार है। भूमध्य सागर क्षेत्र के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाने पर भी हमने चर्चा की। हम सहमत हैं कि इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर से क्षेत्र में शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा।