क्या पीएम मोदी का साइप्रस दौरा भारत-साइप्रस संबंधों को नई दिशा देगा?

सारांश
Key Takeaways
- पीएम मोदी की साइप्रस यात्रा भारत-साइप्रस संबंधों को मजबूत करेगी।
- यह यात्रा आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
- साइप्रस की यात्रा 20 वर्षों में पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा की गई है।
नई दिल्ली, 15 जून (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देशों की विदेश यात्रा पर निकल चुके हैं। रविवारसाइप्रस से उन्होंने अपने दौरे की शुरुआत की, जहां राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने एयरपोर्ट पर उनका भव्य स्वागत किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस भव्य स्वागत के लिए राष्ट्रपति निकोस का आभार व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा, "मैं साइप्रस पहुंच चुका हूं। एयरपोर्ट पर मेरे स्वागत के लिए राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस का धन्यवाद। यह यात्रा भारत-साइप्रस संबंधों को महत्वपूर्ण गति प्रदान करेगी, विशेषकर व्यापार, निवेश और अन्य क्षेत्रों में।"
यह यात्रा पिछले दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है। साथ ही, यह आतंकवाद के खिलाफ भारत की सफल सैन्य कार्रवाई 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पीएम मोदी की पहली विदेश यात्रा है। साइप्रस ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की थी और यह संकेत दिया था कि वह यूरोपीय संघ स्तर पर पाकिस्तान से उत्पन्न सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे को उठाएगा।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने और भूमध्यसागरीय क्षेत्र एवं यूरोपीय संघ के साथ भारत के जुड़ाव को मजबूत करने की साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि करेगी।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री 15 से 19 जून तक साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया की आधिकारिक यात्रा पर हैं। 15-16 जून को साइप्रस दौरे के बाद पीएम 16 से 17 जून को कनाडा में जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने जाएंगे। पीएम मोदी 18 जून को क्रोएशिया की यात्रा के साथ अपनी इस पांच दिवसीय यात्रा का समापन करेंगे।
अपने दौरे के दूसरे चरण में, पीएम मोदी जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए कनाडा जाएंगे।
यह उम्मीद की जा रही है कि पीएम मोदी 16 जून को जी7 शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के एक दिन बाद कनाडा पहुंचेंगे। यह जी7 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी की लगातार छठी भागीदारी होगी।