क्या लोकनायक जयप्रकाश नारायण भारत की अंतरात्मा की निर्भीक आवाज थे? जयंती पर पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

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क्या लोकनायक जयप्रकाश नारायण भारत की अंतरात्मा की निर्भीक आवाज थे? जयंती पर पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

सारांश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने उन्हें भारत की अंतरात्मा की सबसे निर्भीक आवाज कहा और उनके योगदान को याद किया। इस श्रद्धांजलि में उनकी विरासत और आंदोलनों का महत्व भी उजागर किया गया है।

Key Takeaways

  • लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर श्रद्धांजलि दी गई।
  • उन्हें भारत की निर्भीक आवाज कहा गया।
  • उनके आंदोलनों ने सामाजिक जागरूकता बढ़ाई।
  • 'जेल डायरी' उनके अनुभवों का संग्रह है।
  • लोकतंत्र में विश्वास को दर्शाती है।

नई दिल्ली, ११ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम मोदी ने उन्हें भारत की अंतरात्मा की सबसे निर्भीक आवाजों में से एक और लोकतंत्रसामाजिक न्याय के निरंतर समर्थक बताया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकनायक जेपी ने अपना जीवन साधारण नागरिकों को सशक्त बनाने और संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए समर्पित किया। उनकी संपूर्ण क्रांति की पुकार ने एक सामाजिक आंदोलन को प्रज्वलित किया, जिसने समानता, नैतिकता और सुशासन पर आधारित राष्ट्र की परिकल्पना की।

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "भारत की अंतरात्मा की सबसे निर्भीक आवाजों में से एक और लोकतंत्र व सामाजिक न्याय के अथक समर्थक लोकनायक जेपी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि।"

उनकी विरासत को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने विशेष रूप से बिहार और गुजरात में कई जन आंदोलनों को प्रेरित किया, जिससे पूरे भारत में सामाजिक-राजनीतिक जागृति आई। इन आंदोलनों ने तत्कालीन केंद्र की कांग्रेस सरकार को हिला दिया, जिसने बाद में आपातकाल लागू कर संविधान का उल्लंघन किया।"

प्रधानमंत्री मोदी ने 'एक्स' पोस्ट में लिखा, "लोकनायक जेपी ने अपना जीवन आम नागरिकों को सशक्त बनाने और संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए समर्पित किया। संपूर्ण क्रांति के उनके आह्वान ने एक सामाजिक आंदोलन को जन्म दिया, जिसने समानता, नैतिकता और सुशासन पर आधारित राष्ट्र की परिकल्पना की। उन्होंने अनेक जन आंदोलनों को प्रेरित किया, विशेष रूप से बिहार और गुजरात में, जिससे पूरे भारत में सामाजिक-राजनीतिक जागृति आई। इन आंदोलनों ने केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार को हिलाकर रख दिया, जिसने आगे चलकर आपातकाल लागू किया और हमारे संविधान को कुचल दिया।"

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने आर्काइव से लोकनायक जेपी की किताब 'प्रिजन डायरी', जो आपातकाल के दौरान लिखी गई थी, के दुर्लभ पन्ने साझा किए। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह किताब जेपी के दुख और एकांत कारावास के दौरान लोकतंत्र में उनके अटूट विश्वास को दर्शाती है।

उन्होंने लिखा, "लोकनायक जेपी की जयंती पर, आर्काइव से एक दुर्लभ झलक। आपातकाल के दौरान लिखी गई उनकी पुस्तक, 'जेल डायरी' के कुछ पन्ने यहां प्रस्तुत हैं। आपातकाल के दौरान लोकनायक जेपी ने कई दिन एकांत कारावास में बिताए। 'जेल डायरी' में उनकी पीड़ा और लोकतंत्र में अटूट विश्वास का चित्रण है।"

लोकनायक जयप्रकाश नारायण के मार्मिक शब्दों को उद्धृत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “भारतीय लोकतंत्र के ताबूत में ठोकी गई हर कील मेरे दिल में ठोकी गई कील की तरह है।"

Point of View

NationPress
11/10/2025

Frequently Asked Questions

लोकनायक जयप्रकाश नारायण का योगदान क्या था?
लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने भारत में सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता को बढ़ाने के लिए कई जन आंदोलनों का नेतृत्व किया।
पीएम मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि क्यों दी?
पीएम मोदी ने उनकी जयंती पर उन्हें भारत की अंतरात्मा की निर्भीक आवाज बताया और उनके योगदान को याद किया।
लोकनायक की 'जेल डायरी' में क्या है?
'जेल डायरी' में जेपी के अनुभव और लोकतंत्र के प्रति उनके अटूट विश्वास का वर्णन किया गया है।