क्या रामलीला में पूनम पांडे का मंदोदरी किरदार विवाद का कारण बना?

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क्या रामलीला में पूनम पांडे का मंदोदरी किरदार विवाद का कारण बना?

सारांश

पूनम पांडे को मंदोदरी का किरदार दिए जाने पर संत समाज की नाराजगी, क्या यह कला का अपमान है? जानिए इस विवाद के पीछे की कहानी।

Key Takeaways

  • पूनम पांडे का मंदोदरी का किरदार विवाद का कारण बना है।
  • साधु-संतों ने इस चयन के खिलाफ आवाज उठाई है।
  • कई लोग इसे कला और आध्यात्मिक परिवर्तन का अवसर मानते हैं।
  • रामलीला में पात्रों के चयन में धार्मिक भावनाओं का ध्यान रखना आवश्यक है।
  • किसी भी कलाकार को भूमिकाओं के साथ सामाजिक जिम्मेदारी का ध्यान रखना चाहिए।

नई दिल्ली, 19 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। नवरात्रि और दशहरा के आगमन के साथ ही देशभर में रामलीला की तैयारियां तेज़ हो गई हैं। पात्रों का चयन भी चल रहा है, लेकिन पुरानी दिल्ली की प्रसिद्ध लव कुश रामलीला में अभिनेत्री पूनम पांडे को रावण की पत्नी मंदोदरी का किरदार देने के निर्णय ने विवाद खड़ा कर दिया है। साधु-संतों ने इस चयन के विरोध में कड़ा रुख अपनाया है, जबकि कुछ इसे कला और आध्यात्मिक परिवर्तन के लिहाज से स्वीकार करने की बात कर रहे हैं।

अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने इस निर्णय पर आपत्ति जताते हुए कहा, "रामलीला समितियों से हमारी अपील है कि वे शालीनता बनाए रखें। कलाकारों की पृष्ठभूमि और आचरण का ध्यान रखना आवश्यक है, ताकि रामलीला की प्रतिष्ठा को कोई ठेस न पहुंचे। सोच-समझकर कदम उठाना चाहिए, ताकि गलत संदेश न जाए।"

इसी तरह, पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर जगतगुरु बालक देवाचार्य ने कहा, "मंदोदरी पंच कन्याओं में से एक है, जो मर्यादा और पवित्रता का प्रतीक है। ऐसे में किसी को भी यह किरदार देना उचित नहीं। रामचरितमानस एक पवित्र ग्रंथ है और इसके पात्रों के चयन में सावधानी बरतनी चाहिए। इस तरह के कृत्य से धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं।"

वहीं, महामंडलेश्वर शैलेशानंद महाराज ने इस मुद्दे पर कहा, "चित्र और चरित्र में अंतर होता है। यदि पूनम पांडे मंदोदरी का किरदार निभाती हैं और रामायण का अध्ययन करती हैं, तो उनके जीवन में आध्यात्मिक बदलाव आ सकता है। मैंने 2019 में अपने कैंप में राखी सावंत को आमंत्रित किया था, जहां उन्होंने कृष्ण और राधा के भक्ति गीतों पर नृत्य किया। इससे उनके अंदर भारतीय वेदांत की महत्ता का अनुभव हुआ। यदि कोई कलाकार पौराणिक पात्र निभाता है, तो यह स्वागत योग्य है।"

उन्होंने आगे कहा कि कलाकार का चरित्र उसके चित्र पर निर्धारित होता है। उसे जो किरदार दिया जाता है वह उसके अंदर उतर जाता है। अगर हम किसी कलाकार को कहते हैं कि वह विलन का रोल करे तो वह विलन का करेगा, लेकिन उसके अंदर आध्यात्मिक रूप से जो सामाजिक जीवन में परिवर्तन आएगा वह बेहद अद्भुत रहेगा। इसे कला की दृष्टि से देखा जाए तो विवाद की दृष्टि से देखना उचित नहीं है।

कम्प्यूटर बाबा ने इस चयन पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "पूनम पांडे को मंदोदरी का नहीं, बल्कि शूर्पणखा का किरदार निभाना चाहिए। रामलीला समिति को पहले यह सोचना चाहिए कि रामचरितमानस के पात्रों का चयन कैसे करना है। मंदोदरी का किरदार देने से पहले समिति को विचार करना चाहिए। रामलीला सनातन धर्म पर आधारित है, और इसका सम्मान रखना जरूरी है। रामलीला के अध्यक्ष से मैं बुद्धि और विवेक का उपयोग कर जो जैसा है, उसके हिसाब से किरदार देने की अपील करता हूं।

Point of View

जबकि कुछ इसे कला के रूप में देखने की कोशिश कर रहे हैं। इस संबंध में एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है।
NationPress
04/11/2025

Frequently Asked Questions

रामलीला में पूनम पांडे का किरदार क्यों चुना गया?
उन्हें मंदोदरी का किरदार देने का निर्णय कला के दृष्टिकोण से लिया गया है, लेकिन इस पर विवाद उत्पन्न हुआ है।
संत समाज का इस निर्णय पर क्या कहना है?
संत समाज ने इस निर्णय का विरोध किया है, उनका मानना है कि यह धार्मिक भावनाओं को आहत करता है।
क्या कलाकार का सामाजिक जीवन प्रभावित हो सकता है?
कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि कलाकार पौराणिक पात्र निभाने से आध्यात्मिक बदलाव का अनुभव कर सकते हैं।