क्या मानसून सत्र में प्रधानमंत्री को उपस्थित रहना चाहिए था?

सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री को संसद में उपस्थित रहकर महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए।
- पहलगाम की घटना ने देश में गहरे आघात का कारण बनी है।
- विपक्ष के नेताओं को अपनी बात रखने का पूरा अवसर मिलना चाहिए।
- सरकार को बेघरों के मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
- ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा का महत्व है।
नई दिल्ली, 21 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। संसद के मानसून सत्र में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए सरकार ने तैयारी कर ली है। इस पर समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण चर्चा के दौरान पीएम मोदी को उपस्थित रहना चाहिए था।
अवधेश प्रसाद ने कहा कि आज मानसून सत्र की शुरुआत हुई है और देश की जनता जानना चाहती है कि पहलगाम में हुई आतंकी घटना के बाद प्रधानमंत्री ने क्या कदम उठाए हैं, कितने आतंकवादियों का खात्मा किया गया है। इसी विषय पर पूरा विपक्ष जानकारी चाहता है। संसद के इस सत्र में प्रधानमंत्री को रहना चाहिए था और सबसे पहले पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर से संबंधित फैसलों पर चर्चा करनी चाहिए थी। लेकिन, ऐसा लगता है कि वह इन मुद्दों से बचना चाह रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि पहलगाम की घटना बेहद दुखद और दर्दनाक है। इसने हमारे देश के सभी नागरिकों के दिलों को गहराई से झकझोर दिया है। यह एक हृदय विदारक और भयावह घटना है। जब यह घटना हुई, तो नागरिक और सभी राजनीतिक दलों सहित पूरा देश सरकार के साथ एकजुट होकर खड़ा था।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी कहा कि उन्हें संसद में बोलने का मौका नहीं दिया जाता। इस पर अवधेश प्रसाद ने कहा कि राहुल गांधी विपक्ष के नेता हैं और उन्हें अपनी बात रखने का पूरा समय मिलना चाहिए।
उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार पर भी हमला बोला और कहा कि अयोध्या में रामपथ निर्माण के नाम पर कई परिवारों को बेघर कर दिया गया है। प्रदेश में आज भी लाखों परिवार ऐसे हैं, जो बेघर हैं। योगी सरकार ने कई परिवारों को उजाड़ दिया है। एयरपोर्ट बनाने के नाम पर किसानों की जमीनें ले ली गईं और मुआवजा नहीं दिया गया।