क्या प्रशांत किशोर के नेतृत्व में जन सुराज का प्रदर्शन पुलिस पर लाठीचार्ज का आरोप है?

सारांश
Key Takeaways
- प्रशांत किशोर का नेतृत्व बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है।
- पुलिस पर लाठीचार्ज का आरोप जन सुराज के आंदोलन को और भी मजबूत कर सकता है।
- तीन प्रमुख मुद्दों पर प्रदर्शन किया गया है, जो लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
- पटना पुलिस और प्रशासन पूरी तरह से सतर्क हैं।
पटना, 23 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान विपक्ष का हंगामा जारी है। इस बीच, जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सैकड़ों समर्थकों के साथ बिहार विधानसभा का घेराव करने का निर्णय लिया।
जब जन सुराज पार्टी के कार्यकर्ता चितकोहरा गोलंबर के निकट पहुंचे, तब पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया। दोनों पक्षों में धक्का-मुक्की हुई। जन सुराज का आरोप है कि पुलिस ने लाठी चार्ज किया, जिससे कई लोग घायल हुए।
प्रशांत किशोर ने कहा, "यह तो जंग की शुरुआत है। हम इनका जीना हराम कर देंगे। अभी तीन महीने बाकी हैं। इन्हें पता नहीं है कि बिहार की जनता बदलाव चाहती है। इन भ्रष्ट लोगों को हटाना चाहती है। ये लोग सदन में और पुलिस के पीछे छिप नहीं सकते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "पुलिस का क्या? जो ऊपर बैठे हैं, उनके अनुसार काम करती है। पुलिस अपना काम कर रही है और हम अपना। यदि मन होगा, तो उठकर चल देंगे।" इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने जोरदार नारेबाजी की।
ज्ञात हो कि प्रशांत किशोर ने विधानसभा घेराव की घोषणा बुधवार को की थी। इस घोषणा के बाद बड़ी संख्या में लोग पटना पहुंचे। जन सुराज पार्टी की प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि यह प्रदर्शन पूर्व निर्धारित योजना के तहत तीन प्रमुख मुद्दों पर आधारित है।
इन मुद्दों में गरीब परिवारों को दो लाख रुपये की रोजगार सहायता राशि का न मिलना, दलित भूमिहीन परिवारों को तीन डिसमिल जमीन का वितरण न होना और भूमि सर्वेक्षण में भ्रष्टाचार के आरोप शामिल हैं। पार्टी ने पहले ही ऐलान किया था कि इन तीन मुद्दों को लेकर एक करोड़ लोगों के हस्ताक्षर इकट्ठा किए जाएंगे और मानसून सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव किया जाएगा। प्रदर्शन के मद्देनजर पटना पुलिस और प्रशासन पूरी तरह से सतर्क हैं।