क्या प्रयागराज में गणेश की मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं मूर्तिकार?

सारांश
Key Takeaways
- गणेश महोत्सव की तैयारियों का दौर शुरू हो चुका है।
- मूर्तिकारों की मेहनत और कला अद्भुत है।
- प्रयागराज में गणेश उत्सव की भव्यता को देखने के लिए हर कोई उत्सुक है।
- मूर्तियों की मांग हर साल बढ़ती जा रही है।
- यह पर्व सामूहिकता और एकता का प्रतीक है।
प्रयागराज, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत में गणेश महोत्सव मनाने की तैयारियों का दौर तेज हो गया है। उत्तर प्रदेश की आस्था की नगरी प्रयागराज इस महोत्सव की दिव्यता और भव्यता के लिए प्रसिद्ध हो रही है।
इस वर्ष, गणेश उत्सव 27 अगस्त को मनाया जाएगा और शहर में इसकी तैयारियों में तेजी आई है। मूर्तिकार मूर्तियां बनाने में व्यस्त हैं और उन्हें अंतिम रूप दिया जा रहा है। मूर्तियों पर रंग-रोगन का कार्य चल रहा है। हर साल की तरह, इस बार भी 10 दिवसीय गणेश उत्सव के लिए पूरे शहर में एक अद्भुत उत्साह का माहौल है।
मूर्तिकारों के अनुसार, मूर्तियों को तैयार करने में कई महीनों की मेहनत लगती है। एक मूर्ति को बनाने में आमतौर पर 1 से 2 महीने का समय लगता है। पहले उसका ढांचा तैयार किया जाता है, फिर उस पर मिट्टी की परत चढ़ाई जाती है। जब भगवान के स्वरूप की बारीकियों का निर्धारण हो जाता है, तब रंग-रोगन के साथ मूर्ति को अंतिम रूप दिया जाता है।
मूर्तिकारों की टीम का प्रयास यही है कि जब लोग मूर्तियों को देखें, तो उन्हें ऐसा लगे कि वे वास्तव में भगवान गणेश के दर्शन कर रहे हैं।
एक मूर्तिकार बताते हैं कि हम पांच महीने पहले से तैयारी शुरू कर देते हैं और सभी लोग पूरी मेहनत से काम करते हैं। लोग आदिलाबाद, गढ़चिरौली और बस्तर से आते हैं और सब मिलकर कार्य करते हैं। मूर्तियों की मांग बढ़ रही है, हर दिन लोग बुकिंग के लिए आ रहे हैं। यहां 50 हजार से लेकर लाखों रुपए की मूर्तियां बनाई जा रही हैं। यहां 11 फुट तक की मूर्तियां तैयार की जा रही हैं।