क्या प्रयागराज में गंगा का जलस्तर बढ़ने से श्रद्धालुओं और नाविकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं?

सारांश
Key Takeaways
- गंगा और यमुना का जलस्तर खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है।
- स्थानीय निवासियों को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
- सावन के महीने में श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आई है।
- सरकार को तुरंत राहत कार्य शुरू करने की आवश्यकता है।
- जलस्तर बढ़ने से घाट जलमग्न हो रहे हैं।
प्रयागराज, 11 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड में हुई लगातार बारिश और बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। अब पूरा संगम क्षेत्र जलमग्न हो गया है, जिससे स्थानीय निवासियों, तीर्थ पुरोहितों और नाविकों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
इस बीच, आज से सावन का पवित्र महीना शुरू हो गया है, जिससे संगम और दशाश्वमेध घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने की संभावना है। लेकिन, गंगा के जलस्तर के तेजी से बढ़ने से स्थिति और कठिन हो गई है।
स्थानीय नाविक राजीव ने बताया कि पिछले एक सप्ताह में गंगा का जलस्तर अचानक बढ़ गया है। सामान्यतः इस समय जलस्तर 10 फीट के आस-पास होता है, लेकिन अब यह 20-25 फीट तक पहुंच गया है। इससे नाविकों को यात्रियों की संख्या में कमी का सामना करना पड़ रहा है, जो उनकी आय पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। हमारी रोजी-रोटी संकट में है। कम यात्री आने से हमें आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
दशाश्वमेध घाट पर पूजा-पाठ कराने वाले तीर्थ पुरोहित भी इस स्थिति से चिंतित हैं। पुरोहित प्रीतम कुमार मिश्रा ने कहा कि जलस्तर बढ़ने के कारण घाटों पर पूजा करना कठिन हो गया है।
उन्होंने कहा, "सावन शुरू हो चुका है और इस समय श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती है। लेकिन जलस्तर बढ़ने से हम पूजा कैसे कराएं? घाट जलमग्न हैं और हमें बार-बार पीछे हटना पड़ रहा है।"
इसके अलावा, घाटों पर दूध और अन्य सामान बेचने वाले छोटे व्यापारियों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि यदि जलस्तर इसी तरह बढ़ता रहा, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है। गंगा का पानी हनुमान मंदिर तक पहुंचने की आशंका है। लोगों ने तुरंत राहत और समाधान की मांग की है। वर्तमान में, बाढ़ की यह स्थिति प्रयागराज में जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रही है।