क्या पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ रहा है? जानिए इसके लक्षण और उपचार

सारांश
Key Takeaways
- प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों की एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है।
- शुरुआती लक्षणों को पहचानना जरूरी है।
- नियमित स्वास्थ्य जांच से जोखिम कम होता है।
- सर्जरी और अन्य उपचार विकल्प उपलब्ध हैं।
- स्वस्थ जीवनशैली अपनाना फायदेमंद हो सकता है।
नई दिल्ली, 2 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्तमान में स्वास्थ्य का ध्यान रखना हर किसी के लिए महत्वपूर्ण हो गया है। इस संदर्भ में, प्रोस्टेट कैंसर जैसे रोग के प्रति जागरूकता भी तेजी से बढ़ रही है। यह कैंसर मुख्य रूप से पुरुषों को प्रभावित करता है।
कई बार यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है, जिससे शुरुआती चरण में इसे पहचानना और उचित उपचार कराना अत्यंत आवश्यक होता है। यदि समय पर सही कदम उठाए जाएं, तो इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है और व्यक्ति एक स्वस्थ जीवन जी सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि लोग प्रोस्टेट कैंसर के लक्षणों और उपचार के तरीकों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
अमेरिकन नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार, प्रोस्टेट एक छोटी सी ग्रंथि होती है, जो पुरुषों के प्रजनन तंत्र का एक हिस्सा है। यह ग्रंथि मूत्राशय के नीचे और पुरुषों की मूत्र नली के चारों ओर स्थित होती है। जब इस ग्रंथि की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं, तो इसे प्रोस्टेट कैंसर कहा जाता है।
अधिकतर मामलों में, इस कैंसर के प्रारंभिक चरण में कोई स्पष्ट लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण हो सकते हैं जैसे बार-बार पेशाब आना, पेशाब करने में जलन या दर्द, पेशाब को रोकने में कठिनाई, और रात में अधिक बार पेशाब आना। इसके साथ ही, कुछ मरीजों को कमर या कूल्हे में भी दर्द का अनुभव हो सकता है।
यह बीमारी विशेष रूप से उम्र के साथ बढ़ती है, और यह प्रायः 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों को प्रभावित करती है। इसलिए नियमित जांच करना अत्यंत आवश्यक है।
प्रोस्टेट कैंसर की पहचान के लिए डॉक्टर कुछ विशेष परीक्षण करते हैं, जैसे डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन, जिसमें डॉक्टर सीधे हाथ से प्रोस्टेट की जांच करते हैं। इसके अलावा, खून में पीएसए (प्रोस्टेट-स्पेसिफिक एंटीजन) की मात्रा की जाँच की जाती है। पीएसए के स्तर में वृद्धि होने पर अधिक परीक्षण की आवश्यकता होती है।
यदि बीमारी को प्रारंभिक चरण में पकड़ा जाए, तो इसे ठीक करना आसान होता है। उपचार के लिए कई विकल्प होते हैं, जैसे सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, और हार्मोन थेरेपी। कुछ मामलों में, डॉक्टर केवल निगरानी और नियमित जांच की सलाह भी देते हैं।