क्या हाइड्रोजन बम में शक्ति होती तो शपथ पत्र भी देते? पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह

Click to start listening
क्या हाइड्रोजन बम में शक्ति होती तो शपथ पत्र भी देते? पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह

सारांश

क्या हाइड्रोजन बम की शक्ति होती तो शपथ पत्र पेश करते? पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने राहुल गांधी के पत्र पर तीखी प्रतिक्रिया दी। जानें उनके विचार और क्यों उन्होंने संवैधानिक संस्थाओं पर उठाए सवालों को गलत ठहराया।

Key Takeaways

  • संवैधानिक संस्थाएँ हमारे लोकतंत्र की नींव हैं।
  • आरोपों में सच्चाई का प्रमाण पेश करना ज़रूरी है।
  • जातीयता को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।
  • बाबा साहेब अंबेडकर ने सभी के लिए समान सम्मान की व्यवस्था की।
  • सुरक्षा बल हमारे हैं, केवल सरकार के नहीं।

नोएडा, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को 272 रिटायर्ड जजों और ब्यूरोक्रेट्स द्वारा लिखे गए पत्र पर उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा है कि यह पत्र वरिष्ठ नागरिकों के गहरे आक्रोश का परिणाम है। इस पत्र को लिखने का कारण यह है कि हमारी संवैधानिक संस्थाओं जैसे चुनाव आयोग, सेना, और न्यायालय के प्रति सवाल उठाने का कोई औचित्य नहीं है।

पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में कहा कि जब आरोप लगाने के बाद शपथ पत्र देने का मौका मिलता है तो कोई उत्तर नहीं आता। इससे यह स्पष्ट होता है कि आप केवल आरोप लगाते हैं। अगर आपके आरोपों में सच्चाई होती और आपके पास हाइड्रोजन बम का सामर्थ्य होता, तो आप शपथ पत्र प्रस्तुत करते।

उन्होंने कहा कि देश आपके अनर्गल प्रलाप को देख रहा है, और आपको जमीन पर काम करने की आवश्यकता है। लोगों के दुःख में शामिल होना चाहिए और चरमपंथियों की निंदा की जानी चाहिए। जाति के आधार पर बात नहीं की जानी चाहिए। सभी भारतीयों का विशेष स्थान है, और बाबा साहेब अंबेडकर ने सभी के लिए एक अच्छी व्यवस्था की है।

विक्रम सिंह ने कहा कि जातीयता में फूट नहीं डालनी चाहिए। आपके बयानों के बावजूद जनता ने आपको खारिज कर दिया है। आपके आरोपों में सफेद झूठ स्पष्ट है। जाति के आधार पर हमारी सेना और न्यायालय के अधिकारियों को धमकाना उचित नहीं है। आपके पद को यह उचित नहीं ठहराता।

इससे पहले जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने कहा कि हम चाहते हैं कि विपक्ष एक मजबूत भूमिका निभाए, लेकिन विपक्ष के नेता को संवैधानिक संस्थाओं को निशाना बनाना शोभा नहीं देता। पहले राहुल गांधी भारतीय सुरक्षा बलों को निशाना बनाते थे। सुरक्षा बल आपके भी हैं, केवल सरकार के नहीं। उनकी आलोचना का मतलब देश की आलोचना करना है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा को बनाए रखना हर नागरिक का कर्तव्य है। विक्रम सिंह का यह बयान हमें याद दिलाता है कि हमें संवाद के माध्यम से मुद्दों को सुलझाना चाहिए, न कि आरोपों के खेल में उलझना चाहिए।
NationPress
19/11/2025

Frequently Asked Questions

पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह का पत्र पर क्या कहना है?
उन्हें यह पत्र वरिष्ठ नागरिकों के आक्रोश का परिणाम लगता है और उन्होंने इसे संवैधानिक संस्थाओं पर उठाए गए सवालों के खिलाफ बताया।
क्या राहुल गांधी ने संवैधानिक संस्थाओं का अपमान किया?
पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह का कहना है कि सवाल उठाना उचित नहीं है और यह अनर्गल प्रलाप है।
Nation Press