क्या बंगाली फिल्म से हिंदी सिनेमा तक पहुंचा 'पुष्पा, आई हेट टियर्स'?

सारांश
Key Takeaways
- पुष्पा, आई हेट टियर्स का संवाद बंगाली फिल्म से प्रेरित है।
- अमर प्रेम में राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर की जोड़ी यादगार रही।
- निशी पद्मा 1970 में रिलीज हुई थी।
- बंगाली फिल्म का प्रभाव हिंदी सिनेमा पर महत्वपूर्ण है।
- संवादों का गहरा भावनात्मक प्रभाव होता है।
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। क्या आपने कभी सोचा है कि हिंदी सिनेमा के सबसे यादगार और दिल को छू लेने वाले डायलॉग्स में से एक 'पुष्पा, आई हेट टियर्स' कैसे बना? यह संवाद सिर्फ एक बात नहीं, बल्कि एक भावना का प्रतीक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह डायलॉग वास्तव में एक बंगाली फिल्म से प्रेरित था? हम में से कई लोगों को इस दिलचस्प पहलू की जानकारी नहीं होगी।
इस फिल्म का नाम “निशी पद्मा” था। 23 अक्टूबर 1970 को रिलीज हुई निशी पद्मा ने दर्शकों के दिलों में एक खास स्थान बना लिया था। यह एक अनोखी प्रेम और त्याग की कहानी थी, जिसमें महिला पात्र पुष्पा और पुरुष पात्र की भावनाओं को बेहद संवेदनशीलता से प्रस्तुत किया गया। इसी से प्रेरित होकर हिंदी फिल्म अमर प्रेम का निर्माण हुआ।
जब अमर प्रेम की बात आती है, तो राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर की जोड़ी याद आ जाती है। निशी पद्मा इतनी सफल रही कि निर्देशक ने राजेश खन्ना को इसे देखने के लिए कहा। बांग्ला फिल्म में मुख्य किरदार उत्तम कुमार ने निभाया था। सुपरस्टार ने इसे 24 बार देखा ताकि वह उस किरदार में ढल सकें। इसके संवाद अद्भुत थे, किरदार जीवंत थे और कहानी तो जोरदार थी।
बांग्ला फिल्म 'हिंगर कोचुरी' पर आधारित थी, जो बांग्ला लेखक बिभूतिभूषण बंदोपाध्याय की एक लघु कहानी थी। निशी पद्मा को अरबिंद मुखर्जी ने लिखा और निर्देशित किया था, और उन्होंने हिंदी फिल्म के लिए पटकथा लिखी, लेकिन वह भी अंग्रेजी में! क्योंकि उन्हें हिंदी में लिखना नहीं आता था। बांग्ला फिल्म के कई संवाद प्रसिद्ध हुए, जिनमें से एक है पुष्पा को रोते देख पुरुष पात्र का उसे समझाना- "आमी कांदते चाइ न देखले दुखो लागे", जो हिंदी में बन गया "तुम्हें रोता देखकर मुझे दुःख होता है।"
1972 में बनी अमर प्रेम को हिंदी में ढालते समय, लेखक और निर्देशक ने इसे 'संक्षिप्त और पंची' बनाने का निर्णय लिया और यहीं से निकला "पुष्पा आई हेट टियर्स।"
यह भावनात्मक संवाद दिल को झकझोर देता था। जब मुखर्जी साहब ने इसका अनुवाद किया तो अंग्रेजी में लिख दिया "पुष्पा आई हेट टियर्स." हिंदी में इसकी पटकथा लिखने की जिम्मेदारी रमेश पंत को दी गई। उन्होंने कई प्रयोग किए, लेकिन अंततः अंग्रेजी डायलॉग को ही रखा क्योंकि यह किरदार के व्यक्तित्व से मेल खाता था। शक्ति सामंत, जो फिल्म के निर्देशक थे, को यह पसंद आया और इसे मंजूरी दे दी गई। शक्ति दा ने विभिन्न प्लेटफार्मों पर इस किस्से का उल्लेख किया था।
इस तरह "पुष्पा आई हेट टियर्स" का जन्म हुआ और बड़े पर्दे पर दिखाए गए कलाकारों का कमाल तो दिखा ही, साथ ही इस संवाद की दीवानगी का जादू भी सामने आया। ऐसा जो अब भी कायम है। कई मीम्स, रील्स और मजेदार वीडियो में इस एक डायलॉग का खूबसूरती से इस्तेमाल किया जाता है।