क्या राज ठाकरे ने फिर से मराठी बनाम बाहरी का मुद्दा उठाया?

सारांश
Key Takeaways
- राज ठाकरे का बयान बाहरी और मराठी मुद्दे पर है।
- उन्होंने जमीन खरीदने के संबंध में सुझाव दिया है।
- सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं।
- स्थानीय संस्कृति और रोजगार की सुरक्षा का मुद्दा उठाया है।
- मराठी बनाम हिंदी विवाद का संदर्भ दिया है।
नवी मुंबई, 2 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने बाहरी और मराठी के बीच के मुद्दे पर एक बार फिर से महत्वपूर्ण बयान दिया है। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि गुजरात में बाहरी लोग जमीन नहीं खरीद सकते, लेकिन महाराष्ट्र में कोई भी आकर जमीन खरीदता है और उद्योग स्थापित करता है।
राज ठाकरे ने स्पष्ट किया कि अब यदि कोई जमीन खरीदने का इच्छुक हो, तो अपनी जमीनें न बेचना, बल्कि उनसे कहना कि हमें कंपनी में हिस्सेदारी दो और मराठी लोगों को नौकरी पर रखो।
इस अवसर पर उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें पता चला है कि महाराष्ट्र सरकार सरकारी खर्च पर गुजराती साहित्य सम्मेलन आयोजित करने जा रही है। यह जानबूझकर किया गया है ताकि हम प्रतिक्रिया दें और सरकार को राजनीति करने का मौका मिले। हम अब सरकार के बहकावे में नहीं आएंगे, लेकिन जब हमें लगेगा कि सरकार महाराष्ट्र को बर्बाद करने के लिए कदम उठा रही है, तब हम अपनी आवाज उठाएंगे। आप सभी लोग जागरूक रहें और ध्यान रखें कि सरकार क्या कर रही है।
उन्होंने आगे कहा कि हमारे ऊपर आरोप लगता है कि हम हिंदी-मराठी का मुद्दा उठाकर बाहरी लोगों को परेशान करते हैं, जबकि गुजरात में दो बार बिहारी लोगों को भगाया गया। वहां जिस व्यक्ति ने बिहारियों के खिलाफ आंदोलन किया, उसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी पार्टी में शामिल कर विधायक बना दिया। आप अपने राज्य को व्यवस्थित रख रहे हैं, लेकिन दूसरों के राज्यों में यदि वे अपनी भाषा और संस्कृति को बचाने की बात करते हैं, तो उसे आप बदनाम करते हैं।
गौरतलब है कि हाल ही में महाराष्ट्र में 'मराठी बनाम हिंदी' विवाद ने तूल पकड़ा था। इस दौरान मनसे कार्यकर्ताओं ने उत्तर भारतीयों पर कई जगह हमले किए थे, जो सियासी रंग ले चुके थे।