क्या जनजातीय समाज सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहकर आधुनिक शिक्षा और तकनीक को अपना सकता है?: राष्ट्रपति मुर्मू
सारांश
Key Takeaways
- सांस्कृतिक संरक्षण की आवश्यकता है।
- आधुनिक शिक्षा और तकनीक को अपनाना जरूरी है।
- पंखराज साहेब का सपना विश्वविद्यालय स्थापित करना है।
- जनजातीय कलाकारों की समृद्ध परंपरा की सराहना।
- गुमला की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर चर्चा।
गुमला, 30 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को झारखंड के गुमला जिले के रायडीह प्रखंड में आयोजित अंतरराज्यीय जन-सांस्कृतिक समागम 'कार्तिक जतरा' में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने जनजातीय समाज की संस्कृति और विरासत के संरक्षण पर बल दिया।
राष्ट्रपति मुर्मू ने युवाओं से अपील की कि वे अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहते हुए आधुनिक शिक्षा, विज्ञान और तकनीक को अपनाएं। उन्होंने कहा कि शिक्षा विकास की सबसे महत्वपूर्ण पूंजी है और इसके विस्तार से ही समाज और राज्य का समग्र विकास संभव है।
गुमला के महान जनजातीय नायक पंखराज साहेब कार्तिक उरांव की स्मृति को याद करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वे प्रेरणा का स्रोत थे। उन्होंने विदेश में शिक्षा प्राप्त की, लेकिन अपने विचारों को अपने गांव और लोगों के लिए समर्पित रखा और शिक्षा को समाज परिवर्तन का सबसे प्रभावी साधन माना। कार्तिक जतरा के माध्यम से लोग उन्हें याद कर रहे हैं, जो एक महत्वपूर्ण पहल है।
राष्ट्रपति ने कहा कि गुमला जिले में विश्वविद्यालय की स्थापना पंखराज का सपना था, जिसे जल्द ही पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा को जोड़ने वाला यह क्षेत्र नदियों, पहाड़ों और जंगलों से भरपूर है और देश की प्राचीनतम परंपराओं का गवाह है। भगवान बिरसा मुंडा की जन्मभूमि झारखंड में आकर उन्हें तीर्थ यात्रा जैसा अनुभव होता है।
गुमला जिले की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी जतरा टाना भगत का जन्म भी इसी भूमि पर हुआ था। उन्होंने महात्मा गांधी के आदर्शों के अनुसार अहिंसक आंदोलन का नेतृत्व किया। इसके अलावा, राष्ट्रपति ने परमवीर चक्र विजेता शहीद एल्बर्ट एक्का को भी श्रद्धांजलि दी।
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने जनजातीय समुदाय की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की संगीत, नाटक, नृत्य और कला परंपराएं अत्यंत समृद्ध हैं। देशभर से 100 से अधिक आदिवासी कलाकारों को पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है।
कार्यक्रम के दौरान विभिन्न राज्यों से आई आदिवासी पारंपरिक नृत्य मंडलियों ने अपनी लोक कला और संस्कृति का रंगारंग प्रदर्शन किया। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे और पूरे क्षेत्र में उत्सव का माहौल था।
पंखराज साहेब कार्तिक उरांव चौक बैरियर बगीचा, मांझाटोली में आयोजित इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति के साथ झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल उरांव, एसटी-एससी विषयक संसदीय समिति के अध्यक्ष फगन सिंह कुलस्ते और झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार भी उपस्थित थे।