क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने लोकतंत्र को बचाने के लिए संघर्ष किया? : राजीव बिंदल

सारांश
Key Takeaways
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का 100 वर्षों का इतिहास है।
- संघ ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया है।
- संघ की स्थापना डॉक्टर केशव राव बलिराम हेडगेवार ने की थी।
- संघ के कार्यकर्ताओं ने विभिन्न क्षेत्रों में समान विचारधारा को बढ़ावा दिया।
- संघ ने कई बार प्रतिबंध और कठिनाइयों का सामना किया।
पांवटा साहिब, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में सम्पूर्ण देश में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी श्रृंखला में हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के पांवटा साहिब में भी एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं को संघ की विचारधारा से परिचित कराते हुए शहर में पथ संचलन किया गया।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल ने कहा कि आरएसएस ने एक राष्ट्रवादी संगठन के रूप में 100 साल का सफर तय किया है। 1925 में विजयादशमी के दिन संघ की पहली शाखा की स्थापना हुई थी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने लोकतंत्र को बचाने के लिए एक लंबा संघर्ष किया है।
उन्होंने बताया कि नागपुर में आरएसएस की स्थापना डॉक्टर केशव राव बलिराम हेडगेवार ने की थी। हेडगेवार ने पांच बालकों के साथ संघ की शाखा की शुरुआत की थी। संघ ने अपने कार्य को शाखा के रूप में विकसित किया। संघ से निकले स्वयंसेवकों ने विभिन्न क्षेत्रों में समान विचारधारा को बढ़ावा देने का कार्य किया।
राजीव बिंदल ने कहा कि 100 वर्ष की यात्रा बेहद कठिन रही है। वर्ष 1948 में महात्मा गांधी की हत्या का आरोप कांग्रेस द्वारा संघ पर लगाया गया। संघ के सदस्यों को बड़ी संख्या में जेलों में डालकर यातनाएं दी गईं। अंततः न्यायालय ने इस मामले में संघ की कोई भूमिका न होने का निर्णय सुनाया।
उन्होंने कहा कि संघ एक राष्ट्रवादी संगठन है, जो बिना किसी चिंता के निरंतर आगे बढ़ता रहा। उन्होंने बताया कि इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लागू की और संघ पर प्रतिबंध लगाया। संघ के कार्यकर्ताओं को फिर से जेल में डाल दिया गया। संघ ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक लंबा संघर्ष किया। इसके बावजूद संघ ने राष्ट्र के विभिन्न मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए आगे बढ़ना जारी रखा।