क्या रवि योग और बुधवार व्रत से जीवन के दोष दूर कर सकते हैं और सफलता प्राप्त की जा सकती है?

सारांश
Key Takeaways
- रवि योग और बुधवार का व्रत आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
- इस दिन शुभ कार्यों की शुरुआत करने से सफलता के द्वार खुलते हैं।
- सूर्य और चंद्रमा की ऊर्जा का लाभ उठाना महत्वपूर्ण है।
- भगवान गणेश की पूजा से बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है।
- दान करने से रोग और दरिद्रता से मुक्ति मिलती है।
नई दिल्ली, 8 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। आषाढ़ माह की चतुर्दशी को बुधवार का दिन है। इस दिन सूर्य देव मिथुन राशि में और चंद्रमा धनु राशि में उपस्थित रहेंगे। इस दिन रवि योग का निर्माण हो रहा है। मान्यता है कि इस दिन शुभ कार्य करने से सफलता के द्वार खुलते हैं।
जानकारी के अनुसार, रवि योग तब उत्पन्न होता है जब चंद्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र से चौथे, छठे, नौवें, दसवें और तेरहवें स्थान पर होता है। इस दिन आप किसी भी प्रकार के शुभ कार्य की शुरुआत कर सकते हैं। निवेश, यात्रा, शिक्षा या व्यवसाय से संबंधित कार्यों की शुरुआत करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
इस दिन सूर्यदेव को प्रसन्न करने हेतु आप सुबह उन्हें अर्घ्य दें और साथ ही 'ओम सूर्याय नमः' का जाप करें। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में ऊर्जा, तेज़ी और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। मान्यता है कि इस दिन लाल वस्त्र, गेहूं या गुड़ का दान करने से रोग, दरिद्रता और असफलता जैसे अनेक दोषों से छुटकारा मिलता है और जीवन में सफलता एवं समृद्धि आती है।
स्कंद पुराण के अनुसार, बुधवार को भगवान गणेश की पूजा और व्रत रखने से बुद्धि, ज्ञान और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त, इस दिन व्रत करने से बुध ग्रह से संबंधित दोष भी दूर होते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, व्रत प्रारंभ करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करके चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजा सामग्री रखें। इसके बाद ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) की ओर मुख करके इस आसन पर बैठें। भगवान गणेश को पंचामृत (जल, दूध, दही, शहद, घी) से स्नान कराएं, फिर उन पर सिंदूर और घी का लेप लगाएं। जनेऊ, रोली के साथ कम से कम तीन दूर्वा और पीले, लाल पुष्प अर्पित करें। साथ ही बुध देव को हरे रंग के वस्त्र और दाल भी चढ़ानी चाहिए।
लड्डू, हलवा या मीठी चीजों का भोग लगाने के बाद श्री गणेश और बुध देव के मंत्रों का जाप करें। इसके बाद व्रत कथा सुनें और उनकी पूजा करें। अंत में श्री गणेश और बुध देव की आरती करें।
पूजन समापन के बाद प्रसाद को परिवार के सभी सदस्यों में बांट दें। गरीबों और ब्राह्मणों को अपनी सामर्थ्यानुसार दान करना चाहिए। इस दिन मांस और मदिरा का सेवन, झूठ बोलना, किसी का अपमान करना, बाल या दाढ़ी कटवाना और तेल मालिश करना वर्जित माना जाता है। व्रत का उद्यापन 12 व्रतों के बाद किया जाता है।
पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं है और राहुकाल का समय दोपहर 12 बजकर 26 मिनट से 02 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।