क्या वैश्विक अनिश्चितता के बीच ब्याज दरों को स्थिर रखकर आरबीआई ने सही कदम उठाया?

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क्या वैश्विक अनिश्चितता के बीच ब्याज दरों को स्थिर रखकर आरबीआई ने सही कदम उठाया?

सारांश

वर्तमान में इजरायल-हमास संघर्ष और रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच, आरबीआई ने रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखकर एक संतुलित निर्णय लिया है। जानें अर्थशास्त्रियों की राय और इसके पीछे के कारण।

Key Takeaways

  • आरबीआई ने रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा है।
  • वैश्विक अनिश्चितता ने ब्याज दरों पर प्रभाव डाला है।
  • महंगाई दर को नियंत्रित करना आवश्यक है।
  • जीएसटी देश की खपत को बढ़ावा देगा।
  • अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.5 प्रतिशत पर है।

नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्तमान में मध्य पूर्व में इजरायल-हमास संघर्ष, रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी टैरिफ के कारण उत्पन्न वैश्विक अनिश्चितता के माहौल में आरबीआई द्वारा रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखना एक सही निर्णय है। यह टिप्पणी अर्थशास्त्री ने बुधवार को की।

समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में अर्थशास्त्री डॉ. मनोरंजन शर्मा ने बताया, "हमारे बीच कई अर्थशास्त्रियों का मानना था कि अक्टूबर की मौद्रिक नीति में रेपो रेट में कोई बदलाव की संभावना नहीं है, क्योंकि मध्य पूर्व में इजरायल-हमास संघर्ष, रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी टैरिफ से वैश्विक अनिश्चितता बढ़ी है। इसके अलावा, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और देश की विकास दर 6.5 प्रतिशत पर है।"

उन्होंने आगे कहा कि आरबीआई के ये निर्णय जीएसटी से सीधे संबंधित नहीं हैं। केंद्रीय बैंक आर्थिक परिस्थितियों का आकलन करके ब्याज दरों का निर्णय लेता है। जीएसटी एक महत्वपूर्ण सुधार है, जिससे देश में खपत में वृद्धि होगी।

शर्मा के अनुसार, भारत में चालू वित्त वर्ष में महंगाई दर लगभग 3.7 प्रतिशत रह सकती है। देश दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, इसलिए इस महंगाई दर का प्रभावी ढंग से प्रबंधन किया जा सकता है।

केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट को 5.50 प्रतिशत पर स्थिर रखा है, और मौद्रिक नीति का रुख 'न्यूट्रल' रखा है।

रेपो रेट के साथ ही, केंद्रीय बैंक ने स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) को 5.25 प्रतिशत पर बनाए रखा है, जबकि मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) को 5.75 प्रतिशत पर स्थिर रखा है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है और अच्छे मानसून के चलते महंगाई दर में कमी आ रही है। जीएसटी में कटौती से आर्थिक विकास की गति में तेजी आई है।

इससे पहले अगस्त की एमपीसी बैठक में भी आरबीआई ने रेपो रेट में कोई परिवर्तन नहीं किया था। 2025 की शुरुआत से आरबीआई रेपो रेट को 1 प्रतिशत कम कर चुका है, जिसमें फरवरी में 0.25 प्रतिशत, अप्रैल में 0.25 प्रतिशत और जून में 0.50 प्रतिशत की कमी शामिल है।

Point of View

आरबीआई का निर्णय भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। वैश्विक घटनाओं के बीच ब्याज दरों को स्थिर रखकर, यह देश की आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है।
NationPress
01/10/2025

Frequently Asked Questions

आरबीआई ने रेपो रेट को क्यों नहीं बदला?
आरबीआई ने वैश्विक अनिश्चितता और महंगाई दर को ध्यान में रखते हुए रेपो रेट को स्थिर रखा है।
रेपो रेट का अर्थ क्या है?
रेपो रेट वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक लोन प्रदान करता है।
क्या जीएसटी का ब्याज दरों पर असर पड़ता है?
जीएसटी और ब्याज दरों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है, लेकिन जीएसटी देश की खपत को बढ़ावा देता है।
भारत की महंगाई दर क्या है?
अर्थशास्त्री डॉ. मनोरंजन शर्मा के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में महंगाई दर लगभग 3.7 प्रतिशत रह सकती है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति का रुख क्या है?
आरबीआई ने मौद्रिक नीति का रुख 'न्यूट्रल' रखा है।